बिहार दिवस विशेष: ऐसे अस्तित्व में आया अपना बिहार, …जानें

Harsh
बिहार दिवस विशेष: ऐसे अस्तित्व में आया अपना बिहार, …जानें

22 मार्च यानी आज ही के दिन साल 1912 में बिहार को बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग कर राज्य बनाया गया था। इसलिए हर साल राज्य सरकार 22 मार्च को बिहार दिवस मनाती है। बिहार की गौरवशाली यात्रा महज 113 साल पुरानी नहीं है। इसका अतीत हजारों वर्षों से बेहद समृद्ध रहा है। बिहार ने देश-दुनिया को शताब्दियों से रास्ता दिखाया है। कई मोर्चे पर अब भी दिखा रहा है। आगे भी दिखाएगा।

पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने बिहार की आत्मा में झांककर देखा था। उन्होंने कह रखा है कि शिक्षा की स्थिति में अगर सुधार आ जाए तो भारत का नेतृत्व फिर से बिहार ही करेगा। कलाम के शब्दों को देशभर में फैली इस प्रदेश की मेधा से जोड़कर देखा जा सकता है। बिहार सब जगह है। कश्मीर से कन्या कुमारी तक निर्माण की सभी कहानियों का हीरो है। बुनियाद का पत्थर है। राजनीति का प्राण है। नेतृत्व की प्रेरणा है।

ऐसे अस्तित्व में आया अपना बिहार

1912 में बंगाल का विभाजन के फलस्वरूप बिहार नाम का राज्य अस्तित्व में आया। 1935 में उड़ीसा इससे अलग कर दिया गया। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बिहार के चंपारण के विद्रोह को, अंग्रेजों के खिलाफ बगावत फैलाने में अग्रगण्य घटनाओं में से एक गिना जाता है। स्वतंत्रता के बाद बिहार का एक और विभाजन हुआ और सन 2000 में झारखंड राज्य इससे अलग कर दिया गया। भारत छोड़ो आंदोलन में भी बिहार की गहन भूमिका रही।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की शुरुआत

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2010 में इसकी शुरुआत की। जिसके बाद बड़े पैमाने पर बिहार दिवस मनाने की शुरुआत की गयी। हर साल बिहार सरकार 22 मार्च को बिहार दिवस के रूप में मनाए जाने वाले पब्लिक हॉलि-डे की घोषणा करते हुए एक अधिसूचना जारी करती है। यह अवकाश बिहार में राज्य और केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र के सभी कार्यालयों और कंपनियों पर लागू होता है। दिन विशेष हो तो विशेष गतिविधियाँ भी होना लाज़मी है। राज्य के अलावा देश व विदेशों में रहने वाले बिहारी अपने स्थानों पर इस दिन को विभिन्न कार्यक्रमों एवं प्रतियोगिताओं का आयोजन करके मनाते है।

क्यों मनाया जाता है बिहार दिवस

विहार हो गया बिहार

बिहार नाम का प्रादुर्भाव संभवत: बौद्ध विहारों के विहार शब्द से हुआ है जिसे विहार के स्थान पर इसके विकृत रूप बिहार से संबोधित किया जाता है। यह क्षेत्र गंगा नदी तथा उसकी सहायक नदियों के उपजाऊ मैदानों में बसा है।

कभी कहा जाता था मगध

बिहार को मगध के नाम से भी जाना जाता था। वहीं, बिहार की राजधानी पटना का पहला नाम पाटलिपुत्र है। बिहार के उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और दक्षिण में झारखण्ड स्थित है।

इतने क्षेत्रफल में इतने लोग करते हैं निवास

राज्य का कुल क्षेत्रफल 94,163 वर्ग किलोमीटर है जिसमें 91,838.28 वर्ग किलोमीटर ग्रामीण क्षेत्र है। बिहार की जनसंख्या अनुमानित जनसंख्या लगभग 128,500,364 करोड़ है। झारखंड के अलग हो जाने के बाद बिहार की भूमि मुख्यत: नदियों के मैदान एवं कृषि योग्य समतल भूभाग है। आर्थिक स्थिति देश के सबसे पिछड़े औद्योगिक क्षेत्रों में से एक बिहार के लोगों का मुख्य आय स्त्रोत कृषि है। इसके अतिरिक्त असंगठित व्यापार, सरकारी नौकरियां और छोटे उद्योग धंधे भी आय के स्त्रोत हैं।

75 फीसदी जनसंख्या खेती पर है निर्भर

सरकार के निरंतर प्रयास से अब स्थिति बदल रही है। बिहार की लगभग 75 प्रतिशत जनसंख्या कृषि कार्य में संलग्न है। 20वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में खनन व विनिर्माण में में उल्लेखनीय उपलब्धि के बाबजूद बिहार प्रति व्यक्ति आय के मामले में देश में सबसे आखिर में है और राज्य की लगभग आधी आबादी प्रशासनिक तौर पर गरीबी रेखा के नीचे है।

एक समय बिहार शिक्षा का सर्वप्रमुख केन्द्रों में गिना गया

शिक्षा एक समय बिहार शिक्षा के सर्वप्रमुख केन्द्रों में गिना जाता था। नालंदा विश्वविद्यालय, विक्रमशिला विश्वविद्यालय और ओदंतपुरी विश्वविद्यालय प्राचीन बिहार के गौरवशाली अध्ययन केंद्र थे। 12वीं शताब्दी के बाद नालंदा विश्वविद्यालय के साथ तोड़-फोड़ कर नुकसान पहुंचाया गया। इस स्थान के खंडहर हो जाने के बावजूद साल 2016 में इस स्थान को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल किया गया। प्रशासनिक व्यवस्था प्रशासनिक सुविधा के लिए बिहार राज्य को 9 प्रमंडल तथा 38 मंडल (जिला) में बांटा गया है। जिलों को क्रमश: 101 अनुमंडलों, 534 प्रखंडों, 8,387 पंचायतों, 45,103 गांवों में बांटा गया है।

लोकप्रिय व्यंजन है लिट्टी-चोखा

बिहार की पहचान उसके खास ज़ायकों से भी है। नालंदा जैसी ऐतिहासिक शिक्षण व्यवस्था के चलते दुनिया भर में पहचान बनाने वाले बिहार प्रदेश में ऐसे कई लज़ीज व्यंजन हैं, जो स्वाद के मुरीदों का दिल जीतने का दम रखते हैं। बिहारी स्वाद का मजा लेना है तो आप सिर्फ भारत में ही नहीं विदेशों में फेमस हुई लिट्टी-चोखा का मजा जरूर लें। इसके अलावा चना घुगनी, दाल पीठा, खाजा, माल पुआ, मनेर लड्डू, मटन और रेशमी कबाब, ठेकुआ, पेड़किया भी यहाँ का मशहूर जायका है।

राजकीय चिह्न : बोधि वृक्ष

बिहार का राजकीय चिन्ह दो स्वास्तिक से घिरा हुआ बोधि वृक्ष है। बोधि वृक्ष के आधार पर उर्दू में बिहार खुद है। बिहार के गया जिले में महाबोधि मंदिर का पीपल वृक्ष बोधि वृक्ष कहलाता है। 531 ईसा पूर्व में इसके नीचे बैठकर भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था।

राजकीय पशु : बैल

बिहार का राजकीय पशु बैल है। पुराने दिनों में खेती बैल से ही होती थी, यह बिहार की कृषि प्रधानता का प्रतीक है। बिहार सरकार द्वारा 2013 में इसको संरक्षित करने के लिए बिहार के राजकीय पशु के रूप में अपनाया गया है।

राजकीय पक्षी : गोरैया

बिहार की राजकीय पक्षी गोरैया है। एक समय था जब लोगों की नींद गोरैया पक्षी की चहचहाट से खुलती थी। प्रदूषण और बढ़ती आबादी के कारण धीरे-धीरे इनकी संख्या में कमी आई है। बिहार सरकार ने इसके संरक्षण के लिए 2013 में इसे राजकीय पक्षी के रूप में अपनाया है। इससे पहले बिहार का राजकीय पक्षी नीलकंठ था।

राजकीय पुष्प : गेंदा

बिहार के राजकीय फूल का नाम गेंदे का फूल है। गेंदा का फूल एक ऐसा फूल है जो बिहार का लगभग हर घर मे पाया जाता है। इसकी लोकप्रियता के कारण ही बिहार सरकार ने 2013 में इसे बिहार के राजकीय पुष्प घोषित किया। इससे पहले राजकीय पुष्प कचनार का फूल था।

राजकीय वृक्ष : पीपल

बिहार के राजकीय वृक्ष का नाम पीपल का वृक्ष है। पर्यावरण और वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार पीपल राज्य के सांस्कृतिक पक्ष के साथ भी जुड़ा हुआ है। पीपल का वृक्ष बिहार में ज्ञान एवं परम्परा का प्रतीक है। इसी कारण पीपल बिहार का राजकीय वृक्ष है।

राजकीय खेल : कबड्डी

बिहार का राजकीय खेल कबड्डी है। कबड्डी टीम में खिलाड़ियों की संख्या 12 होती है लेकिन सिर्फ 7 खिलाड़ी खेलते हैं। बिहार के अलावा कबड्डी तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पंजाब, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश का भी राजकीय खेल है।

राजकीय भाषा (प्रथम) : हिन्दी

बिहार भारत का पहला ऐसा राज्य है जिसने हिंदी को सबसे पहले अपनी आधिकारिक भाषा घोषित किया। 1881 तक बिहार की आधिकारिक भाषा उर्दू थी। जिसके स्थान पर बिहार ने हिंदी को अपनाया और उर्दू को बिहार की द्वितीय राजकीय भाषा का दर्जा दिया गया।

राज्य गीत : मेरे भारत के कंठहार, तुझको शत्‌-शत्‌ वंदन बिहार

बिहार का राज्य गीत मेरे भारत के कंठहार, तुझको शत्‌-शत्‌ वंदन विहार है। बिहार के इस राज्य गीत को प्रख्यात बांसुरी वादक हरिप्रसाद चौरसिया और प्रसिद्ध संतूर वादक शिवकुमार शर्मा ने सुरों से सजाया है। जिन्होंने इस गीत को शब्द दिए हैं वे हैं मशहूर कवि सत्य नारायण। कवि सत्यनारायण को उनके कविता संग्रहों के लिए भी जाना जाता है। गीत को आधिकारिक तौर पर मार्च 2012 में अपनाया गया था।

https://www.youtube.com/embed/9Gofqx9WfPE

राज्य प्रार्थना : मेरे रफ्तार पर सूरज की किरणें नाज करें

बिहार का राज्य प्रार्थना गीत मेरे रफ्तार पर सूरज की किरणे नाज करें। इस प्रार्थना गीत को मशहूर सिंगर उदित नारायण ने अपनी आवाज दी है। गीत के बोल मुजफ्फरपुर जिले के उर्दू मिडिल स्कूल के शिक्षक चिस्ती ने लिखे हैं।

https://youtu.be/XmHUX7liC_U

आइए जानते हैं बिहार के बारे में और कुछ खास बातें

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