हमारे देश में श्रमिकों व मजदूरों का एक बड़ा वर्ग सक्रिय है, जिनकी भूमिका देश के निर्माण और विकास में हमेशा से ही अहम रही है। उनके समाज के प्रति अपने योगदान को उजागर व सम्मानित करने के लिए हर साल 01 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस (International Labour Day) के रूप में मनाया जाता है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस (International Workers Day) या मई दिवस (May Day) कै नाम से भी जाना जाता है। आपको बता दें कि भारत में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत वर्ष 1923 में हुई थी। आइए जानते हैं कि इस दिन को मनाने की शुरुआत क्यों और कैसे हुई?
अंतर्राष्ट्रीय मई दिवस या मजदूर दिवस की पूरी कहानी का इतिहास अमेरिका से जुड़ा हुआ है। ये बात है सन् 1886 की जब अमेरिका में आंदोलन शुरू हो गया था। ये आंदोलन मजदूरों के काम करने के एक निश्चित समय, सप्ताह में एक दिन की छुट्टी और समय पर मिलने वाले वेतन जैसे अधिकारों से जुड़ा हुआ था। सन् 1880 के दशक में अमेरिका के अलावा कई दूसरे पश्चिमी देशों में भी औद्योगीकरण तेजी से बढ़ रहा था। वह जल्द से जल्द अपने देश को औद्योगीकरण के मामले में आगे बढ़ते हुए देखना चाहते थे, इसलिए वह अपने मजदूरों से 15-15 घंटे काम करवाया करते थे। मजदूरों को बिना किसी आराम के ज़्यादा से ज़्यादा काम करने के लिए मजबूर किया जाता था। कई जगहों पर तो मजदूरों को उनके काम का वेतन भी समय पर नहीं दिया जाता था।
बड़ी-बड़ी औद्योगिक कंपनियों की मनमानी को देखते हुए सन् 1886 में अमेरिका के अलग-अलग शहरों में लाखों श्रमिकों और मजदूरों ने उनके खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया। मजदूरों ने उनके बढ़ते हुए शोषण के विरोध में हड़ताल कर दी और श्रमिक आंदोलन ने आग पकड़ ली। मजदूर वर्ग के लोग बड़ी संख्या में अमेरिका की सड़कों पर उतर आये थे। इसके बाद वहां की पुलिस ने मजदूरों पर गोलियां चला दीं, जिसमें सौ से ज़्यादा मजदूर घायल हो गए और कई मजदूरों की मौत भी हो गई। इस घटना के लगभग तीन साल बाद सन् 1889 में ये फैसला आया कि मजदूर पूरे दिन में केवल आठ घंटे ही काम करेंगे और पूरे सप्ताह में उन्हें एक दिन का अवकाश दिया जाएगा। इसके साथ 01 मई के दिन को मजदूरों को समर्पित करते हुए ये घोषणा की गई कि इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
भारत में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत 01 मई, वर्ष 1923 में हुई। भारत में सबसे पहले अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस चेन्नई में मनाया गया था, जिसके बाद मजदूरों के सम्मान में इस दिन को पूरे भारतवर्ष में मनाया जाने लगा।
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस यानी 01 मई का दिन हमें ये याद दिलाता है कि देश के निर्माण में अपनी सेवाएं प्रदान करने वाले मजदूरों व श्रमिकों को सम्मानित करने के लिए हम सभी को आगे आना चाहिए, ताकि उनके कदम गर्व के साथ अपनी दिशा में हमेशा आगे की ओर बढ़ते रहें।