प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को नागासाकी दिवस (Nagasaki Day) मनाया जाता है, जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी शहर नागासाकी पर परमाणु बमबारी की याद दिलाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा हिरोशिमा शहर पर परमाणु बम गिराए जाने के ठीक तीन दिन बाद 9 अगस्त, 1945 को नागासाकी बमबारी हुई। बमबारी के कारण जापान को आत्मसमर्पण करना पड़ा और द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति हुई।
नागासाकी पर परमाणु बमबारी के परिणामस्वरूप भारी जनहानि हुई और व्यापक विनाश हुआ। ऐसा अनुमान है कि लगभग 40,000 लोग तुरंत मारे गए, और इसके बाद चोटों, विकिरण बीमारी और अन्य संबंधित कारणों से हजारों लोग मारे गए।
नागासाकी दिवस परमाणु युद्ध के विनाशकारी परिणामों और शांति और परमाणु निरस्त्रीकरण को बढ़ावा देने के महत्व की एक गंभीर याद दिलाता है। दुनिया भर में कई लोग और संगठन बमबारी के पीड़ितों को सम्मानित करने और परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया की वकालत करने के लिए समारोह, सतर्कता और कार्यक्रम आयोजित करते हैं। यह युद्ध की भयावहता पर विचार करने और भविष्य में ऐसी त्रासदियों को दोबारा होने से रोकने के प्रयासों को बढ़ावा देने का भी दिन है।
द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) एक वैश्विक संघर्ष था जिसमें प्रमुख शक्तियां, मित्र राष्ट्र (अमेरिका, यूएसएसआर, यूके के नेतृत्व में) और धुरी राष्ट्र (जर्मनी, इटली, जापान के नेतृत्व में) शामिल थे। इसकी शुरुआत जर्मनी के पोलैंड पर आक्रमण से हुई, जिसके परिणामस्वरूप पूरे यूरोप, अफ्रीका, एशिया और प्रशांत क्षेत्र में लड़ाइयाँ हुईं। युद्ध में परमाणु बमों के उपयोग जैसी महत्वपूर्ण घटनाएँ देखी गईं। इस संघर्ष में करोड़ो लोगों की जानें गयीं।
वर्ष 1945 में जापान पर अमेरिका द्वारा ‘हिरोशिमा’ और ‘नागासाकी’ पर परमाणु बम गिराया गया। इस कारण जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया और अंततः युद्ध विराम की घोषणा हुई।
यद्यपि युद्ध का तो अंत हो गया किन्तु हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए बमबारी को मानवीय इतिहास में एक भीषण त्रासदी के रूप में गिना जाता है। यह बमबारी 6 अगस्त और 9 अगस्त के दिन क्रमशः हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए।
इस प्रकार की विभीषिका का मानव जाति को पुनः सामना न करना पड़े, इसीलिए 6 अगस्त और 9 अगस्त को क्रमशः 'हिरोशिमा दिवस' और 'नागासाकी दिवस' के रूप में स्मरण किया जाता है।