भारत का उप-प्रधानमंत्री केंद्रीय मंत्रिपरिषद का एक वरिष्ठ सदस्य होता है जो शासन, निर्णय लेने में प्रधानमंत्री की सहायता करता है और विभिन्न क्षमताओं (पोर्टफोलियो) में राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है। हालाँकि इस पद की कोई परिभाषित संवैधानिक भूमिका नहीं है, फिर भी यह सरकार की संरचना में महत्व रखता है।
15 अगस्त, 1947 को, जब भारत को स्वतंत्रता मिली, तब से अब तक भारत के 7 उपप्रधान मंत्री हो चुके हैं। वर्तमान सरकार में कोई उपप्रधानमंत्री नहीं है और यह पद 23 मई, 2004 से रिक्त है।
सरदार वल्लभभाई पटेल देश के उप प्रधानमंत्री बनने वाले पहले व्यक्ति थे। वे नेहरू मंत्रिमंडल का हिस्सा थे। उनका कार्यकाल 15 अगस्त, 1947 से 15 दिसंबर, 1950 तक रहा।
सरदार वल्लभभाई पटेल, जिन्हें अक्सर "भारत का लौह पुरुष" कहा जाता है, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख नेता और आधुनिक भारतीय गणराज्य के संस्थापकों में से एक थे। वर्ष 1991 में, उन्हें भारत सरकार ने उनके योगदान को स्मरण करते हुए उन्हें ‘भारत रत्न’ से अलंकृत किया। राष्ट्र के एकीकरण में उनके योगदान के उपलक्ष में उनकी जयंती पर राष्ट्रीय एकता दिवस – National Unity Day : 31 अक्टूबर मनाया जाता है।
देश के दूसरे उप-प्रधानमंत्री हुए मोरारजी देसाई, जो बाद में चलकर भारत के प्रधानमंत्री भी बने। 13 मार्च, 1967 से 19 जुलाई, 1969 तक वे इंदिरा गाँधी की सरकार के दौरान उप-प्रधानमंत्री रहे। मोरारजी देसाई को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ के साथ-साथ पाकिस्तान के सर्वोच्च सम्मान ‘निशान-ए–पाकिस्तान (Nishan-e-Pakistan)’ से भी सम्मानित किया गया था। ‘निशान-ए–पाकिस्तान’ सम्मान प्राप्त करने वाले वे पहले भारतीय थे।
जब देश में पहली बार जनता पार्टी की सरकार बनी, तब पहली बार दो उप प्रधानमंत्री बनाए गए। उनमें से एक थे जगजीवन राम, तो दूसरे थे चौधरी चरण सिंह।
चौधरी चरण सिंह कार्यकाल 24 जनवरी, 1979 से 28 जुलाई, 1979 तक रहा। 28 जुलाई,1979 को कांग्रेस(आई) के सहयोग से वे देश के 5वें प्रधानमंत्री बने। चरण सिंह एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्होंने कभी संसद का सामना नहीं किया।
जगजीवन राम, जिन्हें “बाबू जगजीवन राम” भी कहा जाता था, चौधरी चरण सिंह के साथ-साथ मोरारजी देसाई की सरकार में भारत के उप-प्रधानमंत्री रहे। वे प्रथम दलित उप प्रधानमंत्री थे। बाबू जगजीवन एक राजनीतिज्ञ के अतिरिक्त एक स्वतंत्रता सेनानी और संविधान सभा के सदस्य भी थे।
यशवंतराव चव्हाण (वाई. वी. चव्हाण) 5वें व्यक्ति थे, जो भारत के उप प्रधानमंत्री बने। सन् 1979 में जब चौधरी चरण सिंह देश के प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने द्वारा वाई.वी. चव्हाण को अपनी सरकार में उप प्रधानमंत्री बनाया गया। उप प्रधानमंत्री के रूप में यशवंतराव चव्हाण कार्यकाल 28 अगस्त, 1979 से 14 जनवरी, 1980 तक रहा।
चौधरी देवीलाल एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जो दो बार उप प्रधानमंत्री पद पर रहे - पहली बार वी.पी. सिंह सरकार में और दूसरी बार चंद्रशेखर के प्रधानमंत्री कार्यकाल में। चौधरी देवीलाल का जन्म 25 सितंबर, 1914 को वर्तमान हरियाणा के सिरसा जिले के तेजा खेड़ा गांव में हुआ था। उनकी माता का नाम शुगना देवी और पिता का नाम लेखराम सिहाग था।
देवी लाल (पूरा नाम : देवी लाल दयाल) हरियाणा राज्य से किसान नेता के रूप में उभरे और 1977 से 1979 तक और फिर 1987 से 1989 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। वह इंडियन नेशनल लोकदल के संस्थापक थे। उन्हें लोकप्रिय रूप से ‘ताऊ’ के नाम से जाना जाता था।
लालकृष्ण आडवाणी भारत के सातवें और अंतिम उप प्रधानमंत्री हुए। उप प्रधानमंत्री रूप में उनका यह कार्यकाल 29 जून, 2002 से 22 मई, 2004 तक रहा था। जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी, तब आडवाणी ने गृह मंत्री व उप-प्रधानमंत्री (Deputy Prime Minister) का दायित्व संभाला था। लालकृष्ण आडवाणी का जन्म कराची, वर्तमान पाकिस्तान में, माता-पिता किशनचंद और ज्ञानीदेवी आडवाणी के घर हुआ था। लालकृष्ण आडवाणी को वर्ष 2024 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।