हिन्दूराष्ट्र नहीं रामराज्य

पिछले कुछ समय से लगातार देश मे हिन्दू राष्ट्र की मांग की जा रही है। कई धार्मिक व सामाजिक संगठन इसकी मांग भी कर रहे हैं। हिन्दूराष्ट्र की मांग करना कहीं न कहीं कट्टरता को बढ़ावा देता है। जबकि इतिहास गवाह है कि हिन्दू कभी कट्टर नही हुआ। अभी ज्योतिष पीठाधीश्वर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी ने भी पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा है कि हमे हिन्दू राष्ट्र नही, राम राज्य चाहिये। कुछ लोग स्वामी जी के बयान सहमत नही होंगे परन्तु हिन्दू राष्ट्र नही रामराज्य की कल्पना देश व समाज के हित मे है। क्योंकि हिन्दू राष्ट्र में कंश, रावण,व महिषासुर जैसे अनाचारियों के लिये भी स्थान था। ये सब भी हिंदुत्व को मानने वाले थे।

आज भी देश में ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो हिंदू तो हैं पर हिंदुत्व को ही नही मानते। जब रामराज्य की मांग की जाएगी तब उसमें समस्त लोगों के हित की बात होगी। हिन्दू राष्ट्र की मांग का विरोध हिन्दू समाज की कई जातियां भी करती है। प्राचीन समय से जातिवाद से पीड़ित जो जातियां है। उनको हिन्दू राष्ट्र की मांग स्वीकार नही, उनको लगता है कि हिन्दूराष्ट्र में समानता नही मिलेगी। हाँ उनका ये जरूर मानना है कि राम राज्य में सभी को सम्मान व समान अवसर मिलेंगे। रामराज्य की कल्पना करते ही भगवान राम के द्वारा जिया गया जीवन सामने आता है। जिसपर चलने को सभी का मन करता है। रामराज्य कहीं से मिलेगा नही, कोई रामराज्य लाएगा भी नही। बस देश समस्त लोगों को रामराज्य को स्वत् ही अपनाना पड़ेगा। हिन्दूराष्ट्र हमे कभी कोई प्रेरणा नही देगा परन्तु रामराज्य हमे परिवार के लिये, समाज के लिये, धर्म के लिये व राष्ट्र के लिये जीने की प्रेरणा देता है।

भगवान श्री राम का जीवन विश्वभर में अकेला ऐसा जीवन है जिसमे उन्होंने बताया है कि अच्छा पुत्र, अच्छा भाई, अच्छा पति, अच्छा पिता, अच्छा मित्र अच्छा राजा कैसा हो। यहाँ तक कि उन्होंने राक्षसराज रावण की मृत्यु के उपरांत उसके मृत शरीर का सम्मान करके ये भी बताया कि अच्छा शत्रु कैसा होना चाहिए। जिस दिन भारत का प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में राम के द्वारा जिये गए जीवन से प्रेरणा ले लेगा, उस दिन से देश की समस्त समस्याएं समाप्त हो जाएंगी। श्री राम का जीवन केवल पारिवारिक रूप से प्रेरणादायक नही बल्कि समय आने पर शक्ति का अहसास भी कराता है।

महाशक्तिशाली रावण पर विजय पाने के लिये वन में रहने वाले समस्त छोटे बड़े जीवों को एकत्रित कर उनको रावण से लड़ने की प्रेरणा भी राम के जीवन से ही मिलती है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी ने राज्य की जो बात कही है देश को जोड़ने की है। जबकि हिन्दूराष्ट्र की मांग करना देश को तोड़ने जैसा है। केवल हिन्दूराष्ट्र ही बल्कि अन्य धार्मिक रूप से मान्यता प्राप्त देशों की क्या स्थिति है वो जगजाहिर है। विश्वभर में कई ऐसे देश है जो पूर्ण रूप से इस्लामिक देश हैं।उनकी जो स्थिति है वो जगजाहिर है। हिन्दूराष्ट्र में कहीं न कहीं जातिगत संघर्ष बढ़ जाएगा जबकि रामराज्य में केवल प्रेम ही मिलेगा। इसलिये सभी अपने जीवन में रामराज्य को आत्मसार करना चाहिए। जिससे सभी लोग समरस, सद्भाव रूप से जीवन जी सकें।

नोट - इस लेख को लिखने का सम्पूर्ण श्रेय महानगर प्रचारक ललित शंकर जी को जाता है।