वसीम बरेलवी (Wasim Barelvi) हिंदी और उर्दू काव्य मंचों पर एक सम्मानित नाम हैं। वसीम बरेलवी का मूल नाम जाहिद हुसैन है। वर्तमान में, बरेलवी राष्ट्रीय उर्दू भाषा संवर्धन परिषद (एनसीपीयूएल) के उपाध्यक्ष हैं। 18 फरवरी, 1940 को वसीम का जन्म उत्तर प्रदेश के शहर बरेली में हुआ था। उनके कुछ चुनिंदा आशयर (शायरी का बहुवचन) पढ़िए अल्ट्रान्यूज़ पर!
ग़म और होता सुन के गर आते न वो 'वसीम'
वसीम बरेलवी
अच्छा है मेरे हाल की उन को ख़बर नहीं
लहराती बलखाती चिड़िया हवा से कहती लगती है
वसीम बरेलवी
उड़ने पर आओ तो दुनिया कितनी छोटी लगती है
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे
वसीम बरेलवी
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे
आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता है
वसीम बरेलवी
भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है
मुझको गुनहगार कहे और सजा न दे
वसीम बरेलवी
इतना भी इख़्तियार किसी को ख़ुदा न दे
ऐसे रिश्ते का भरम रखना कोई खेल नहीं
वसीम बरेलवी
तेरा होना भी नहीं और तेरा कहलाना भी
वो झूठ बोल रहा था बड़े सलीक़े से
वसीम बरेलवी
मैं एतबार न करता तो और क्या करता
मुसलसल हादसों से बस मुझे इतनी शिकायत है
वसीम बरेलवी
कि ये आँसू बहाने की भी तो मोहलत नहीं देते
वो पूछता था मेरी आँख भीगने का सबब
वसीम बरेलवी
मुझे बहाना बनाना भी तो नहीं आया
ज़रा सा क़तरा कहीं आज अगर उभरता है
वसीम बरेलवी
समुंदरों ही के लहजे में बात करता है