हर साल हजारों लाखों की संख्या में छात्र कॉलेजों और विश्विद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसरशिप के लिए अप्लाई करते हैं। कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद से ही शिक्षण की शुरुआत होती है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी ने असिस्टेंट प्रोफेसर के पद से संबंधित नियमों को रिवाइज किया है। कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए जुलाई 2023 से पी एच डी को न्यूनतम अनिवार्यता माना गया था लेकिन अब हाल ही में यूजीसी चेयरमैन ऐम जगदेश कुमार ने कहा है कि असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए पी एच डी की डिग्री अनिवार्य नहीं है। Osmania University में एक कार्यक्रम के दौरान UGC Chairman ने यह जानकारी दी है।
UGC Chairman ने इस अवसर पर बताया कि एक राष्ट्र-एक डेटा पोर्टल विकसित किया जा रहा है, जिसमें यूजीसी के सभी दिशानिर्देश और अन्य विवरण होंगे। उन्होंने यह भी बताया कि अगले शैक्षणिक वर्ष से शिक्षा की पारंपरिक पद्धति के साथ-साथ राष्ट्रीय डिजिटल विश्वविद्यालय के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सीधे छात्रों तक पहुंचाई जाएगी।
पी एच डी के लिए जारी नए नियमों के मुताबिक अब सभी छात्रों को पी एच डी में एडमिशन लेने की डेट से इसे पूरा करने के लिए 6 साल का समय दिया जाएगा। उम्मीदवार को री-रजिस्ट्रेशन करने के लिए 2 साल का समय और दिया जा सकता है।
नए नियम के मुताबिक ऑनलाइन या डिस्टेंस लर्निंग से पीएचडी पर रोक लगा दी गई है। इससे पहले थीसिस जमा कराने से पहले शोधार्थी को कम से कम दो शोधपत्र छपवाना पड़ता था। अब पीएचडी के नए नियमों में इसकी छूट दी गई है। रिसर्च की प्रक्रिया के दौरान दो रिसर्च पेपर छपवाने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है।