माता-पिता बनने का एहसास बहुत खास होता है। गोद में खेलते बच्चे की मां के ममत्व को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। ये खुशियां तब और भी बढ़ जाती हैं, जब घर में जुड़वां बच्चे (has twins) किलकारियां मारे। यह खुशी हर किसी को नसीब नहीं होती।
देश में औसतन एक हजार बच्चों के जन्म पर चार ही जुड़वां पैदा होते हैं, लेकिन आंध्र प्रदेश का एक गांव ऐसा है, जहां हर तीसरे घर में जुड़वां बच्चे पैदा हो रहे हैं। पूर्वी गोदावरी जिले के पिदापुरम मंडल में छोटा-सा गांव है डोड्डीगुंटा। यहां लोगों की आजीविका का मुख्य साधन खेती है। लगभग 4,800 आबादी वाले इस गांव में करीब 900 परिवार हैं। इनमें से करीब 300 परिवारों में जुड़वां बच्चे हैं।
जुड़वां बच्चे पैदा होने का यह सिलसिला करीब दो दशकों से चल रहा है। अब गांव के ज्यादातर घरों के आंगन में जुड़वां बच्चे खेलते हैं। हमशक्ल कई जुड़वां अब युवा हो गए हैं। डोड्डीगुंटा में प्रवेश करते ही बहुत से जुड़वां बच्चे सड़कों पर खेलते- घूमते दिखते हैं।
इसी गांव में क्यों पैदा हो रहे हैं जुड़वां बच्चे, इस सवाल पर गांव के सरपंच मणिकंटा दावा करते हैं कि यह एक कुएं के पानी की वजह से है, लेकिन उनके इस दावे का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। चिकित्सा विशेषज्ञ इस तर्क को सिरे से खारिज करते हैं। इसी गांव के जुड़वां बच्चों के पिता रामचाबू कहते हैं कि आप डोड्डीगुंटा में अलग-अलग आयु वर्ग के जुड़वां देख सकते हैं। इस वजह से हमारा गांव देश-दुनिया में मशहूर हो गया है। डोड्डीगुंटा में प्रवेश करते ही बहुत से जुड़वां बच्चे सड़कों पर खेलते-घूमते दिखते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, दो दशकों से जुड़वां बच्चे ज्यादा पैदा हो रहे हैं।
गांव के भीतर तालाब के किनारे बने एक छोटे से कुएं पर काफी रौनक है। रामबाबू इशारा कर तेलुगु में बताते हैं-यही वह कुआं है, जिसका छह माह तक नियमित पानी पीने से जुड़वां बच्चे होते हैं। कुएं से पानी लेने विजयवाड़ा से जैसम भी आए हैं। जेसम कहते हैं कि शादी के पांच साल बाद भी उनके घर में बच्चा नहीं है। इसी उम्मीद से पानी लेने वह पत्नी के साथ आए हैं। रामबाबू के अनुसार, हर रोज कई लोग यहां दूर- दराज से पानी लेने के लिए आते हैं। आंध्र के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और हैदराबाद तक इस कुएं का पानी जा रहा है।
उधर, चिकित्सा विशेषज्ञ ऐसे किसी भी दावे को सिरे से खारिज करते हैं। इंडियन सोसाइटी ऑफ एसिस्टेड रिप्रॉडक्शन (ISAR) के अध्यक्ष डॉ. निर्मल भसीन कहते हैं कि कुएं का पानी पीने से संतान या जुड़वां बच्चे होने की बात का कोई आधार नहीं है। जीन और वंशानुगत कारक जुड़वां बच्चों के जन्म के लिए जिम्मेदार होते हैं।