आज 6 जुलाई को तिब्बत के 14वें दलाई लामा का जन्म दिन है। आज उनके जन्मदिन पर जानतें हैं उनके जीवन से जुड़े कुछ पहलु।
दलाई लामा वस्तुतः तिब्बत के आध्यात्मिक और राजनितिक प्रमुख होते है। वर्तमान में जो दलाई लामा हैं, वे इस अनुक्रम में 14वें हैं। उनका आध्यात्मिक नाम जेत्सुन जम्फेल न्गवांग लोबसांग येशे तेनजिन ग्यात्सो है, जिन्हें तेनजिन ग्यात्सो के नाम से भी जाना जाता है। तेनजिन ग्यात्सो का जन्म 1935 में हुआ था। वे पूर्वी तिब्बत में जन्में थे।
वास्तविक नाम - ल्हामो थोंडुप
अन्य नाम - तिब्बती लोगों के लिए ग्यालवा रिनपोछे
गुरु - थुबतेन ज्ञाछो
आराध्य - बुद्ध
जन्म - 6 जुलाई 1935 (आयु 87)
जन्म स्थान - तख्तसेर, अमदो, तिब्बत
वैवाहिक स्थिति - अविवाहित
भाषा - अंग्रेजी, तिब्बती, हिंदी, चीनी
पिता - चोक्योंग त्सेरिंग
माता - डिकी त्सेरिंग
धर्म - तिब्बती बौद्ध धर्म
1937 में उन्हें 13वें दलाई लामा के तुल्कु के रूप में चुना गया था। तिब्बती बौद्ध परंपरा में तुल्कु वस्तुतः तिब्बती बौद्ध धर्म में शिक्षाओं की एक विशिष्ट वंशावली के संरक्षक होते हैं जिन्होंने तिब्बती बौद्ध धर्म में शिक्षाओं के संरक्षण हेतु पुनर्जन्म लिया है तथापि जिसे उसके पूर्ववर्ती छात्रों द्वारा छोटी उम्र से ही अभिषेक और प्रशिक्षित किया जाता है।
तत्पश्चात, 1939 में बुमचेन शहर के पास एक सार्वजनिक घोषणा में उन्हें औपचारिक रूप से 14वें दलाई लामा के रूप में मान्यता दी गई।
1959 में, 23 साल की उम्र में, उन्होंने वार्षिक मोनलम प्रार्थना महोत्सव के दौरान ल्हासा के जोखांग मंदिर में अपनी अंतिम परीक्षा दी। वह इस परीक्षा में उत्तीर्ण हुए और उन्हें उच्चतम स्तर की गेशे डिग्री, ल्हारम्पा डिग्री से सम्मानित किया गया।
मार्च, 1959 में तिब्बत पर चीन के नियंत्रण के पश्चात् वे भारत आये। 18 अप्रैल को वे असम के तेजपुर पहुंचे। कुछ समय बाद उन्होंने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में निर्वासित तिब्बत सरकार की स्थापना की, जिसे अक्सर "छोटा ल्हासा" कहा जाता है।
14वें दलाई लामा, तेनजिन ग्यात्सो, को तिब्बती लोगों की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए सहिष्णुता और आपसी सम्मान पर आधारित शांतिपूर्ण समाधान की वकालत करने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
मंगोलियाई भाषा में दलाई का अर्थ है महासागर और लामा का अर्थ होता है बुद्ध के अनुयायी। दलाई लामा एक वस्तुतः एक पदवी है जिसका मतलब होता है ज्ञान का महासागर और दलाई लामा को उनके अनुयायी उन्हें बुद्ध के गुणों के साक्षात रूप में देखतें हैं। तिब्बती लोगों का यह मत है कि दलाई लामा को बोधिसत्व की प्राप्ति हो चुकी है। बोधिसत्व ऐसे ज्ञानी लोग होते हैं जिन्होंने अपने निर्वाण को टाल दिया हो और मानवता की रक्षा के लिए पुनर्जन्म लेने का निर्णय लिया हो।