नेल्सन रोलिहलाहला मंडेला, आम बोलचाल की भाषा में नेल्सन मंडेला, एक दक्षिण अफ़्रीकी रंगभेद-विरोधी कार्यकर्ता और राजनीतिज्ञ थे। वे 1994 से 1999 तक दक्षिण अफ़्रीका के पहले राष्ट्रपति रहे। वह देश के पहले अश्वेत राष्ट्र प्रमुख थे और पूर्ण रूप से प्रतिनिधि लोकतांत्रिक चुनाव में चुने गए पहले व्यक्ति थे। आज 18 जुलाई को उनकी जयंती पर जानतें हैं उनके बारे में कुछ विशेष बातें।
Full Name | Nelson Rolihlahla Mandela |
Date of Birth | July 18, 1918 |
Date of Death | December 5, 2013 |
Cause of Death | Prolonged respiratory infection |
Aged | 95 years |
Nelson Mandela spouse(s) | 3 wives |
Evelyn Ntoko Mase (m. 1944; div. 1958) | |
Winnie Madikizela (m. 1958; div. 1996) | |
Graça Machel (m. 1998) |
वह वर्ष 1944 में अफ़्रीकी नेशनल कांग्रेस (एएनसी) में शामिल हुए। उन्होंने कई अन्य नेताओं के साथ इसकी युवा शाखा की भी स्थापना की, जिसे अफ़्रीकी नेशनल कांग्रेस यूथ लीग कहा जाता है। एएनसी ने शांतिपूर्ण, अहिंसक तरीकों से सभी दक्षिण अफ़्रीकी लोगों के लिए पूर्ण नागरिकता के लिए अपना अभियान शुरू किया।
उन्होंने रंगभेदी नस्लीय पृथक्करण नीति के साथ अफ़्रीकनेर-प्रभुत्व वाली नेशनल पार्टी की 1948 की चुनावी जीत के बाद, स्वतंत्रता चार्टर को अपनाया, जिसने रंगभेद-विरोधी कारण का बुनियादी कार्यक्रम प्रदान किया। नेल्सन मंडेला और साथी वकील ओलिवर टैम्बो ने इस अवधि के दौरान मंडेला और टैम्बो लॉ फर्म को चलाया, और कई अश्वेतों को मुफ्त या कम लागत वाली कानूनी सलाह दी, जो अन्यथा कानूनी प्रतिनिधित्व के बिना होते।
5 अगस्त, 1962 को उन्हें मजदूरों को हड़ताल के लिये उकसाने और बिना अनुमति देश छोड़ने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया। उन पर मुकदमा चलाया गया जिसमें वे तत्कालीन व्यवस्था के द्वारा दोषी सिद्ध हुए। 12 जुलाई, 1964 को उन्हें उम्रकैद की सजा सुनायी गयी। सज़ा के लिये उन्हें रॉबेन द्वीप की जेल भेज दिया गया। नेल्सन मंडेला ने जेल में भी अश्वेत कैदियों को लामबन्द करना शुरू कर दिया था। वे अपने जीवन के 27 वर्ष कारागार में रहे। अन्ततः 11 फ़रवरी 1990 को उनकी रिहाई हुई। जेल से उनकी रिहाई कुछ शर्तों और समझौतों पर हुई थी। समझौते और शान्ति की नीति के तहत उन्होंने एक लोकतान्त्रिक एवं बहुजातीय अफ्रीका की नींव रखी।
वर्ष 1994 में दक्षिण अफ्रीका में चुनाव हुए। ये चुनाव बिना किसी रंगभेद के संपन्न हुए। इसे दक्षिण अफ्रीका के लोगों (विशेषकर अश्वेत लोगों) का संघर्षों का ही परिणाम कहा जाना चाहिए कि अंततोगत्वा उन्हें रंगभेद से मुक्ति मिल गयी। इसमें नेल्सन मंडेला का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान था।
इन चुनावों में अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस को 62 प्रतिशत मत प्राप्त हुए तथा बहुमत के साथ उसकी सरकार बनी। 10 मई, 1994 को मंडेला अपने देश के सर्वप्रथम अश्वेत राष्ट्रपति बने।
5 दिसंबर 2013 को 95 वर्ष की आयु में फेफड़ों के संक्रमण से उनकी मृत्यु हो गई।
मंडेला के लेख और भाषण ‘आई एम रेडीड टू डाई’, ‘नो इज़ी वॉक टू फ्रीडम’, ‘द स्ट्रगल इज़ माई लाइफ’, और ‘इन हिज़ ओन वर्ड्स’ में एकत्र किए गए थे। मंडेला की आत्मकथा ‘लॉन्ग वॉक टू फ़्रीडम’ (जो उनके प्रारंभिक जीवन और जेल में बिताए गए वर्षों का विवरण देती है) 1994 में प्रकाशित हुई थी।
उन्हें अपने जीवनकाल में विभिन्न देशों और संगठनों से कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए थे। मंडेला को 40 वर्षों में 260 से अधिक पुरस्कार मिले, जिनमें सबसे उल्लेखनीय 1993 का नोबेल शांति पुरस्कार है। भारत ने उन्हें 1990 में भारत रत्न से सम्मानित किया। वे गांधीजी के अहिंसा के मार्ग से अत्यंत प्रभावित थे।