सरदार वल्लभभाई पटेल – Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti विशेष : 31 अक्टूबर

➤ सरदार वल्लभभाई पटेल, जिन्हें अक्सर "भारत का लौह पुरुष" कहा जाता है, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख नेता और आधुनिक भारतीय गणराज्य के संस्थापकों में से एक थे।
➤ वर्ष 1991 में, उन्हें भारत सरकार ने उनके योगदान को स्मरण करते हुए उन्हें ‘भारत रत्न’ से अलंकृत किया।
➤ उनके सम्मान में राष्ट्रीय एकता दिवस – National Unity Day : 31 अक्टूबर मनाया जाता है।

सरदार वल्लभभाई पटेल, जिन्हें अक्सर "भारत का लौह पुरुष" कहा जाता है, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख नेता और आधुनिक भारतीय गणराज्य के संस्थापकों में से एक थे। उन्होंने नव स्वतंत्र राष्ट्र में रियासतों के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज 31, अक्टूबर को उनके जयंती पर जानतें हैं उनके बारे में कुछ बातें।

वल्लभभाई झावेरभाई पटेल (या सरदार पटेल) का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को नडियाद, गुजरात में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गुजरात में ही पूर्ण की। पेशे से वे वकील थे। 

स्वतंत्रता पश्चात् सरदार पटेल का योगदान 

15 अगस्त, 1947 को सरदार पटेल ने प्रथम उपप्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। स्वतंत्र भारत के प्रथम गृह मंत्री और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का कार्यभार भी उन्होंने संभाला। वे इन पदों पर 15 दिसंबर, 1950 तक रहे। इस दौरान उनकी उपलब्धियां थीं - 

जब देश आज़ाद हुआ था, तब भारत में 17 ब्रिटिश-शासित प्रदेश व 560 से भी अधिक रियासतें थी। इन रियासतों को ब्रिटिश ने यह स्वतंत्रता दी कि वे चाहे हो भारत के साथ रहें, चाहे तो पाकिस्तान के साथ रहें। इसके अतिरिक्त उनके पास स्वतंत्र रहने का भी विकल्प था। ऐसी स्थिति में इन रियासतों का भारत में विलय करवाना अत्यंत दुष्कर कार्य था। सरदार वल्लभभाई पटेल ने कुशल नेतृत्व का प्रदर्शन करते हुए वी.पी. मेनन की सहायता से इस कार्य को अंजाम दिया। इस दौरान सरदार पटेल को कठोर निर्णय लेने पड़े, जिस कारण उन्हें “लौह पुरुष” कहा जाने लगा।

सरदार पटेल का 15 दिसंबर, 1950 को 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया। सरदार वल्लभभाई पटेल को एक दृढ राजनेता के रूप में याद किया जाता है जिन्होंने आधुनिक भारतीय राष्ट्र को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उनके सम्मान में, "स्टैच्यू ऑफ यूनिटी", जो दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है, गुजरात में बनाई गई थी। यह भारत की एकता और अखंडता में उनके योगदान के प्रतीक के रूप में खड़ा है।

वर्ष 1991 में, उन्हें भारत सरकार ने उनके योगदान को स्मरण करते हुए उन्हें ‘भारत रत्न’ से अलंकृत किया। उनके सम्मान में राष्ट्रीय एकता दिवस – National Unity Day : 31 अक्टूबर मनाया जाता है।