पुलिस वाले का फॉल आने पर अक्सर आम आदमी घबरा जाते है। इसी का फायदा साइबर ठग भी उठा रहे हैं, जो डिजिटल अरेस्ट कर लाखों रुपये ऐंठ रहे है। अगर आपके पास किसी पुलिस वाले का कॉल आता है तो आपको क्या करना चाहिए? अगर वाकई किसी मामले में पुलिस आपको गिरफ्तार कर लेती है तो तब आपके क्या अधिकार है? विस्तार से समझते है।
पुलिस वाला कॉल कर आपके खिलाफ शिकायत या FIR दर्ज होने की बात कहकर तुरंत थाने आने को कहता है तो परेशान ना हो। आप पुलिस वाले से भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 35 के तहत नोटिस भेजने को कहें। पुलिस वाले का नाम और रैंक पूछ सकते हैं। यह नोटिस आपके घर पर पोस्ट या सीधे हैंडओवर किया जाएगा। इसे इलेक्ट्रॉनिक मोड से भी भेजा जा सकता है। नोटिस में लिखा होगा कि क्या मामला है, आपको कब, कहां और कितने बने पेश होना है। नोटिस में बुलाए गए दिन अगर आप कहीं बाहर हैं तो दूसरे दिन के समय की मांग भी कर सकते हैं।
आपके खिलाफ दर्ज केस की धाराओं में सजा सात साल से कम है तो पुलिस थाने से ही जमानत दे सकती है। कानूनी विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर आप पुलिस के नोटिस पर पेश नहीं होते हैं, कोई रिकवरी करनी हो, किसी फैक्ट की डिस्कवरी करनी हो, गवाह पर दबाव डालने का खतरा हो, सबूत नष्ट करने का अंदेशा हो, आपका एड्रेस पुख्ता ना हो और अगर आदतन अपराधी हो तो फिर पुलिस ऐसे केसों में भी अरेस्ट कर सकती है। पुलिस को कोर्ट में गिरफ्तारी की वजह स्पष्ट करनी होगी।
सात साल से ज्यादा की सजा वाले केस में पुलिस सीधे अरेस्ट कर सकती है। नोटिस की जरूरत भी नहीं होती है। इसी तरह शांति भंग होने की आशंका में भी पुलिस सीधा गिरफ्तारी डाल सकती है। प्रारंभिक जांब में मामला सही पाया जाता है तो पुलिस अरेस्ट करती है। गिरफ्तारी के ग्राउंड के बारे में आपको बताया जाएगा और जानकारी आपके करीबी को दी जाएगी। गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर कोर्ट में पेश करना होगा। पूछताछ के समय आपका वकील भी थाने में मौजूद रह सकता है।
अगर महिला आरोपी है तो सूरज डूबने यानी रात में गिरफ्तारी नहीं हो सकती है। अगर गिरफ्तारी जरूरी है तो स्थानीय मैजिस्ट्रेट की परमिशन से महिला पुलिसकर्मी अरेस्ट कर सकती है। दिन के समय पुरुष पुलिसकर्मी भी गिरफ्तार कर सकता है, लेकिन वह महिला को फिजिकली टच नहीं कर सकता। नाबालिगों के मामले में सजा सात साल से कम है तो FIR दर्ज नहीं होगी। सादे कपड़े में पुलिसकर्मी रहेगा, जो थाने में जीडी एंट्री कर पैरंट्स से अंडरटेकिंग लेकर नाबालिग को उन्हें सौंप देगा। सात साल से ज्यादा की सजा का केस है तो FIR दर्ज होगी। नाबालिग को हिरासत में लेकर सिर्फ दिन में जुवेनाइल वेलफेयर ऑफिसर की मौजूदगी में पूछताछ हो सकती है। रात में शेल्टर होम भेजना होगा।