1976 में ही हो चुकी थी जोशीमठ पर आने वाले खतरे की भविष्यवाणी 

उत्तराखंड का जोशीमठ लुप्त होने की कगार पर है। यहां की हालत इतनी खराब है कि अब यहां लोगों को अपने घरों से बेघर होना पड़ रहा है। आादि गुरु शंकराचार्य की तपोभूमि ज्यार्तिमठ भी भूधंसाव की जद में आ रहा है। ऐसा ही चलता रहा तो धीरे–धीरे यह नगर अपना सांस्कृतिक और ऐतिहासिक अस्तित्व भी खो देगा। जोशीमठ के अस्तित्व की बातें केवल कहानियों में ही सुनने को मिलेगी। बद्रीनाथ के दर्शन करने जाने वाले तीर्थ यात्री जब जोशीमठ में भगवान नृसिंह के दर्शन करने जाते हैं तो वहां इस भविष्यवाणी के बारे में बताया जाता है। इस भविष्यवाणी के मुताबिक बद्रीनाथ धाम विलुप्त हो जाएगा और जोशीमठ से 25 किलोमीटर दूर भविष्यबद्री में भगवान बदरीविशाल के दर्शन होंगे। जोशीमठ में भूमि के धंसने और ज़मीन के नीचे से निकलने वाले पानी के नालों को देखकर अब लोग इसे उस भविष्यवाणी से जोड़ कर देख रहे हैं। 

कुछ लोग इसके पीछे वैज्ञानिक कारणों को भी जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। जोशीमठ पर आए इन खतरों को लेकर साल 1976 में भविष्यवाणी कर दी गई थी। 1976 में उस समय के गड़वाल कमिश्नर एनसी मिश्रा की अध्यक्षता वाली समिति ने रिपोर्ट दी थी जिसमें जोशीमठ पर खतरे का जिक्र करने के साथ ही इसे बचाने में लोगों की भूमिका का भी ज़िक्र किया गया था।इसके बाद साल 2021 की रिपोर्ट में भी इस खतरे का ज़िक्र किया गया था। 

एसीपी बिष्ट और पीयूष रौतेला ने अपनी रिसर्च में  बताया है कि जोशीमठ में होने वाले इस नुकसान के पीछे बहुत से कारण मौजूद हैं। सेंट्रल हिमालय पर मौजूद जोशीमठ का मेन सेंट्रल थ्रस्ट क्षेत्र में होना इसकी सबसे बड़ी वजह मानी जा रही है। उत्तराखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (Uttarakhand Space Application Center) के निदेशक एमपीएस बिष्ट के अनुसार उत्तराखंड के ज्यादातर गांव 1900 से 2500 मीटर की ऊंचाई पर बसे हुए हैं। यह गांव इंडियन और तिब्बतन प्लेट के बीच मौजूद उन क्षेत्रों में भी हैं, जो मेन सेंट्रल थ्रस्ट (बेहद कमजोर क्षेत्र) में मौजूद हैं। यहां छोटे-छोटे भूकंप (Earthquake), पानी से भू कटाव को भी इस खतरे की वजह माना जा रहा है।

विकास है बड़ी वजह 
उत्तराखंड की धरती पर बेतरतीब निर्माण कार्य के साथ ही टनल निर्माण के कार्य की वजह से आम जनता को इस आपदा का सामना करना पड़ रहा है। शहर के विकास से संबंधित तमाम गतिविधियों के कारण ही आज जोशीमठ खत्म होने की कगार पर खड़ा है।

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ANI UP/Uttarakhand

…तब जागा सरकारी तंत्र 
जोशीमठ को बचाने के लिए लोग सड़कों पर उतर आए हैं। जब लोगों के आंदोलन की आवाज देहरादून में गूंजी तब जाकर सरकारी तंत्र को होश आया। गुरुवार को लोगों ने नेशनल हाईवे जाम कर दिया जिसके बाद पुलिस और प्रशासन उन्हें मनाने के लिए सड़कों पर उतर आया। चमोली पुलिस प्रशासन द्वारा स्थानीय नीरक्षण किया गया। आज भी कई स्थानों का निरीक्षण किया जा रहा है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा रहा है।

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Joshimath | Lallantop Show

प्री फेब्रिकेटेड भवनों का किया जा रहा निर्माण 
जोशीमठ की स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने बीआरओ के अंतर्गत हेलंग बाईपास के निर्माण कार्य, एनटीपीसी तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना समेत अन्य निर्माण कार्यों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। इसके साथ ही प्रशासन ने जोशीमठ-औली रोपवे का संचालन भी अग्रिम आदेशों तक रोक दिया है। प्रशासन ने ए न टी पी सी और ए च सी सी कंपनियों को 2 हजार फेब्रिकेटेड भवन बनाने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आज ही समीक्षा बैठक करने का ऐलान किया है।

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