शुभ लाभ देने आ रहीं महालक्ष्मी, दिवाली पूजन शाम 6:53 बजे से

शुभ लाभ देने आ रहीं महालक्ष्मी, दिवाली पूजन शाम 6:53 बजे से
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विष्णु पूजा का मंत्र

● ॐ विष्णवे नम

भगवान विष्णु की मूर्ति को पहले पानी फिर पंचामृत से नहलाएं। शंख में पानी और दूध भर के अभिषेक
करें। फिर कलावा, चंदन, अक्षत, अबीर, गुलाल और जनेऊ सहित पूजन सामग्री चढ़ाएं। इसके बाद हार-
फूल और नारियल चढ़ाएं। मिठाई और फलों का नैवेद्य लगाएं।

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है। दो साल से कोरोना के कारण
दीपावली वृह्द स्तर पर नहीं मनी थी। ऐसे में इस बार पूरे जोश के साथ लोग दीपावली मनाने की तैयारी
में हैं लेकिन 25 अक्तूबर को लगने वाले सूर्यग्रहण के कारण तिथियों में फेरबदल हो गया है।

24 अक्तूबर दिन सोमवार को दिवाली का पूजन शाम 653 से लेकर रात्रि 816 बजे तक रहेगा। विद्वानों
के अनुसार, इस बार दिवाली सभी के लिए मंगलकारी और धनधान्य से पूर्ण है।

अमावस्या तिथि सोमवार को अमावस्या तिथि शाम 5 बजकर 27 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि 25
अक्टूबर को शाम 4 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी।

निशीथ काल में दीपावली पूजन

जो लोग प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन नहीं कर पाते हैं या विशेष सिद्धि के लिए लक्ष्मी पूजन करना
चाहते हैं वह दीपावली की रात में निशीथ काल में 8 बजकर 19 मिनट से रात 10 बजकर 55 मिनट के
बीच पूजा कर सकते हैं।

● सर्वप्रथम पूजा का संकल्प लें।

● श्रीगणेश, लक्ष्मी, सरस्वती जी के साथ कुबेर का पूजन करें।

● ऊं श्रीं श्रीं हूं नम का 11 बार या एक माला का जाप करें।

● एकाक्षी नारियल या 11 कमलगट्टे पूजा स्थल पर रखें।

● श्रीयंत्र की पूजा करें और उत्तर दिशा में प्रतिष्ठापित करें, देवी सूक्तम का पाठ करें।

मंत्र पढ़ते हुए आचमन करें और हाथ धोएं-

ॐ केशवाय नम, ॐ माधवाय नम, ॐनारायणाय नम ऊँ ऋषिकेशाय नम

(श्रीपीठ पर स्थित और देवताओं से पूजि होने वाली हे महामाये, तुम्हें नमस्कार है। हाथ में शंख, चक्र
और गदा धारण करने वाली हे महालक्ष्मी, तुम्हें नमस्कार है।)

लक्ष्मी पूजन मुहूर्त

सोमवार को कार्तिक अमावस्या दीपावली के दिन प्रदोष काल शाम में 5 बजकर 43 मिनट से शुरू होगा।
इस समय चर चौघड़िया रहेगा जो शाम 7 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। उसके बाद रोग चौघड़िया लग
जाएगा। शाम में मेष लग्न 6 बजकर 53 मिनट तक है।

मां लक्ष्मी को लगाएं भोग

सिंघाड़ा, अनार, श्रीफल, सीताफल, गन्ना, केसरभात, चावल की खीर जिसमें केसर पड़ा हो, हलवा आदि।

महानिशीथ काल में पूजा

महानिशीथ काल में दीपावली की साधना साधक लोग करते हैं। तंत्र साधना के लिए यह समय अति
उत्तम रहेगा। रात 10 बजकर 55 मिनट से रात 1 बजकर 31 मिनट महानिशीथ काल में तंत्रोक्त विधि
से दिवाली पूजन किया जा सकता है।

ऐसे करें दीपावली पूजन

  1. पानी के लोटे में गंगाजल मिलाएं। वो पानी कुश या फूल से खुद पर छिड़कर पवित्र हो जाएं।
  2. पूजा में शामिल लोगों को और खुद को तिलक लगाकर पूजन शुरू करें।
  3. पहले गणेश, फिर कलश उसके बाद स्थापित सभी देवी-देवता और आखिरी में लक्ष्मी जी की पूजा करें।
  4. दिवाली पर घी और तेल दोनों ही दीपक अखंड जलाने चाहिएं।

गणेश पूजन

ॐ गं गणपतये नम बोलते हुए गणेश जी को पानी और पंचामृत से नहलाएं। पूजन सामग्री चढ़ाएं।
नैवेद्य लगाएं। धूप-दीप दिखाएं और दक्षिणा चढ़ाएं।

सावधानी बरतें

दिवाली के पर्व पर इस बार सूर्यग्रहण का साया है। सूर्यग्रहण का सूतक 24/25 की रात्रि 230 से प्रारंभ हो
जाएगा। अखंड दीपक में घी-तेल सूतक काल में न डालें। इतना घी और तेल रखें कि सवेरे तक वह
जलता रहे।

गृहस्थ के लिए सर्वश्रेष्ठ समय

● स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए स्थिर लग्न में शाम 6 बजकर 53 मिनट से 7 बजकर 30 मिनट से
पहले गृहस्थ जनों को देवी लक्ष्मी की पूजा आरंभ कर लेनी चाहिए।

● लक्ष्मी पूजा मुहूर्त सोमवार को शाम 653 से रात 816 बजे तक रहेगा।

बहीखाता और सरस्वती पूजा

फूल-अक्षत लेकर सरस्वती का ध्यान कर के आह्वान करें। ऊँ सरस्वत्यै नम बोलते हुए एक-एक कर के
पूजन सामग्री देवी की मूर्ति पर चढ़ाएं। इसी मंत्र से पेन, पुस्तक और बहीखाता की पूजा करें।

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