बांग्लादेश में हालात होने लगे सामान्य, प्रधानमंत्री शेख हसीना ने उठाया बड़ा कदम - Situation in Bangladesh started becoming normal, Prime Minister Sheikh Hasina took a big step.
पिछले दिनों बांग्लादेश में हुई हिंसा ने वहां हालात बेकाबू कर दिए। आरक्षण को लेकर शुरू हुआ विवाद जल्द ही हिंसक हो गया। जिसमे वहां रहकर पढ़ने वाले छात्रों सहित मरने वालों की संख्या 180 से ज्यादा हो गयी है। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कुछ कड़े कदम उठाये हैं जिससे अब वहां हालात कुछ सामान्य हुए हैं।
दरअसल साल 2018 में बांग्लादेश में इसी तरह के हिंसक प्रदर्शन हुए थे। उस समय लोगो की मांग के अनुसार बांग्लादेश सरकार ने वहां कई सालों से चले आ रहे आरक्षण को खत्म कर दिया था। इसके पीछे लोगो ने यह तर्क दिया था कि जो उस समय स्वतंत्रता सेनानी बांग्लादेश की मुक्ति के लिए लड़े थे उनमे से कुछ का निधन हो गया है बाकी जो बचे हुए हैं वे बुजुर्ग हो चुके हैं। ऐसे में जब पुरे एशिया महाद्वीप में सरकारी नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है तो बांग्लादेश के युवाओं ने सरकारी नौकरियों में मिलने वाले 56% आरक्षण को हटाने की मांग सरकार के समाने रखी। जिसका समर्थन करते हुए सरकार ने आरक्षण को पूर्ण रूप से खत्म कर दिया था।
2018 में सरकार के आरक्षण खत्म करने के बाद जुलाई 2024 में वहां की एक कोर्ट ने यह कहते हुए अपना निर्णय दिया कि आरक्षण बांग्लादेश की जरूरत है। इसको खत्म नहीं किया जा सकता। कोर्ट के इसी निर्णय को लेकर छात्र सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करने लगे। उन्होंने कहा की जब हमारे देश में रोजगार की स्थिति बहुत ही नाजुक है ऐसे में सरकारी नौकरियों में 56% आरक्षण की क्या आवश्यकता है। छात्रों ने यहां तक भी कहा है कि यदि आरक्षण की सुविधा सुचारु रूप से चलती रहे तो 26% आरक्षण युवाओं के लिए काफी होगा। बाकी 30% आरक्षण जो बांग्लादेश की मुक्ति संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों को दिया जा रहा है वह तो किसी भी दशा में स्वीकार्य नहीं होगा।
बांग्लादेश की ढाका यूनिवर्सिटी पूरी दुनिया में मेडिकल की पढाई के लिए मशहूर है। बांग्लादेश में ज्यादातर छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए जाते हैं। इसके अलावा, नर्सिंग की पढ़ाई के लिए भी स्टूडेंट्स जाते रहते हैं। भारत के अलावा नेपाल और भूटान से भी मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए छात्र बांग्लादेश जाते रहते हैं। भारत में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर से बड़ी संख्या में छात्र वहां जाते हैं। मेघालय से ज्यादातर छात्र मेडिसिन की पढ़ाई करने के लिए जाते हैं। बांग्लादेश में करीब 8,500 भारतीय छात्र और करीब 15,000 भारतीय नागरिक हैं।
बांग्लादेश और भारत के संस्कृति में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है। ऐसे में दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले वहां रहन-सहन में कोई मुश्किल नहीं आती है। यहां मेडिकल की बैचलर्स डिग्री पांच साल की है और एक साल का इंटर्नशिप पीरियड है। पूरा कोर्स और रहन-सहन का कुल खर्च 30 लाख रूपये के आसपास बैठता है।