ईद पर बीबीसी के एक लेख पर हंगामा हुआ। इसमें बीबीसी पर इस्लामी कट्टरपंथियों के प्रोपोगेंडा पर चलने का आरोप लगा। उस पर यह आरोप लगा कि वह इस्लामिस्ट प्रोपोगेंडा का प्रचार कर रहा है। उसे काफी आलोचना का सामना करना पड़ा।
बीबीसी ने ईद पर एक लेख प्रकाशित किया, जिसका शीर्षक था “Eid celebration can be lonely for Muslim reverts.” इसमें revert शब्द पर ध्यान देने की आवश्यकता है। अभी तक हमने केवल कन्वर्ट अर्थात मतांतरण ही पढ़ा था। मगर इसमें बीबीसी ने लिखा है “revert” अर्थात वापसी। रीवर्ट शब्द बहुत ही विवादास्पद है, क्योंकि इस्लाम का जन्म ही केवल लगभग 1400 वर्ष पहले हुआ है और उसमें भी इस्लाम में आने वालों को रीवर्ट अर्थात मजहब में वापसी बोले, तो यह विवादास्पद ही नहीं अपितु हास्यास्पद भी है।
दरअसल कट्टरपंथी इस्लामिस्ट समूहों का यह मानना है कि इस पूरी दुनिया में केवल और केवल इस्लाम ही एकमात्र प्राकृतिक धार्मिक व्यवस्था है। और जो पैदा होता है वह मुस्लिम ही होता है, जो बाद में किसी और मत का हिस्सा बन जाता है। इसलिए जब वह इस्लाम में आता है तो वह अपने स्वाभाविक मजहबी मत में वापस आता है। यह एक प्रकार से सभी उन धार्मिक मतों को नकारना और खारिज करना है, जो इस्लाम से कहीं पहले से इस विश्व में विद्यमान थें।
इस्लामिस्ट अपने आप को सबसे पहला और इस धरती का स्वाभाविक मजहब कहते हैं, और वे किसी और सभ्यता के अस्तित्व को पूरी तरह से नकारते हैं। इसमें भी जो अति कट्टर हैं, वे नकारने के क्रम में वे शेष सभी सभ्यताओं के अस्तित्व को नष्ट कर देना चाहते हैं, जिनमें दूसरे धार्मिक विचार के धार्मिक स्थल, धार्मिक पुस्तकें एवं अन्य धार्मिक प्रतीक हैं। भारत में भी हर कोने में टूटे हुए मंदिर इसके प्रमाण हैं।
बीबीसी ने जब इस पोस्ट को एक्स पर पोस्ट किया तो एक्स के कम्युनिटी स्टैंडर्ड ने भी रीवर्ट शब्द को विवादास्पद कहा।
इसे लेकर सोशल मीडिया पर भी बीबीसी की आलोचना हुई। दरअसल यह राजनीतिक इस्लाम का वर्चस्ववादी शब्द है, जिसके माध्यम से वह स्वयं की सत्ता एवं वर्चस्व को प्रमाणित करता है। कन्सर्वटिव सांसद टॉम टगेंदहट ने एक्स पर बीबीसी की आलोचना करते हुए लिखा कि इस सांप्रदायिकता का बीबीसी में स्थान नहीं है। मतांतरित लोगों को “रीवर्ट” कहना विचारधारा है, तथ्य नहीं। यह कहना यह दावा करना है कि हम सभी मूल रूप से मुसलमान हैं और जो कन्वर्ट हो गए हैं, वे अपने धर्म को दोबारा से खोज रहे हैं।
द सन के अनुसार Oxford Institute for British Islam के डॉक्टर ताज हारगे ने कहा कि इस शब्द को कभी भए प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए था। यह एकदम बकवास है। यह एक इस्लामिस्ट प्रोपोगेंडा है।
एक्स पर Humanists UK ने लिखा कि शब्द रीवर्ट इस्लाम में यह विश्वास है कि हर कोई मुसलमान पैदा होता है और इसलिए धर्म परिवर्तन करने वाले लोग सिर्फ़ मुसलमान हैं जो वापस आ गए हैं।
हो सकता है कि मुसलमान ऐसा मानते हों, लेकिन बीबीसी के संपादकीय को धार्मिक रूप से तटस्थ रहना चाहिए और ‘धर्म परिवर्तन’ जैसे तथ्यात्मक शब्द का इस्तेमाल करना चाहिए।
Tousi TV के संस्थापक महयर तौसी ने लिखा कि “बीबीसी, आप एक घृणित संगठन हैं जो ‘कन्वर्ट’ के बजाय ‘रिवर्ट’ शब्द का उपयोग करते हैं। आप अच्छी तरह जानते हैं कि इसका क्या मतलब है, लेकिन आपने इस्लाम के झूठे आख्यान के आगे झुकना चुना। यह घिनौना है!”
लोगों ने जमकर बीबीसी की क्लास लगाई और कहा कि वह इस्लाम के उस प्रोपोगेंडा को आगे बढ़ा रहा है, जो अपने अतिरिक्त किसी और को कुछ मानता ही नहीं है। खदिजा खान नामक यूजर ने लिखा कि
“इस्लामी मान्यता है कि सभी व्यक्ति “जन्मजात” मुसलमान होते हैं और धर्मांतरित लोग केवल मुसलमान होते हैं जो अपने “सच्चे धर्म” में वापस लौट आए हैं, इसे “रीवर्ट अर्थात वापस आना” कहा जाता है।
वास्तव में “रीवर्ट” जैसी कोई चीज़ नहीं है। यह इस्लामी वर्चस्व को स्थापित करने का एक और तरीका है।
उसने आगे लिखा कि “कोई भी व्यक्ति मुसलमान पैदा नहीं होता। यहां तक कि मुस्लिम घरों में जन्मे और पले-बढ़े बच्चे भी मुसलमान नहीं होते। उनके दिमाग में बाद में ब्रेन वाश करके इस्लामिक मत डाले जाते हैं।“
बीबीसी की आलोचना करते हुए उन्होंने लिखा कि “मजहबी भड़काऊ बातों का इस्तेमाल करके, @BBCNews हर गुजरते दिन के साथ अपनी गरिमा खोता जा रहा है।“
जब इतनी आलोचना हुई तो बीबीसी ने अपनी खबर का शीर्षक बदल दिया और साथ ही बीबीसी ने रीवर्ट शब्द को लोगों द्वारा कहे गए के रूप में ही लिखा है। शेष स्थानों पर रीवर्ट को कन्वर्ट कर दिया है।
दरअसल यह लेख उन लोगों के कथित अकेलेपन पर था, जो दूसरे मतों से इस्लाम में मतांतरित हुए हैं। तो उनके सामने नए मत में क्या कठिनाइयां आती हैं, इस पर यह लेख था, जिसे बीबीसी ने इस्लामी प्रोपोगेंडा के प्रचार का माध्यम बना दिया। ⏹