बिहार में मौसम विभाग ने बताया – पिछले 45 दिनों से सौतन से भी ज्यादा रहता तापमान

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मानसून के बीते तीन महीने में बिहार के विभिन्न जिलों में 45 दिन औसत से अधिकतम तापमान अधिक रहा है।
औसत तापमान में यह बढ़ोतरी जून, जुलाई और अगस्त इन तीनों महीनों में बनी रही। इसका सीधा असर बिहार
में खेती-किसानी पर पड़ा है। ज्यादातर जिलों में रोपनी प्रभावित हुई है। सूखे का संकट बना हुआ है।

मौसमविदों का कहना है कि सूबे में सामान्य दिनों में अगस्त में तापमान 33 डिग्री सेल्सियस रहना चाहिए लेकिन
यह 35 से 36 डिग्री के आसपास रहा। इसकी वजह बारिश के दिनों में बारिश की भारी कमी देखी गई। मौसमविदों
के मुताबिक जुलाई में सूबे में अधिकतम औसत तापमान 34 डिग्री के आसपास रहना चाहिए लेकिन बारिश की
कमी से यह 36 से 37 डिग्री रहा। जून में 36 से 38 डिग्री के बीच सामान्य तापमान होना चाहिए लेकिन 38 से
39 डिग्री के आसपास रहा।

मौसम विज्ञान केंद्र पटना के निदेशक विवेक सिन्हा ने बताया कि बारिश कम होना इसका प्रमुख कारण रहा। एक
जून से लेकर एक सितंबर तक सूबे में 782.6 मिमी बारिश होनी चाहिए थी लेकिन मात्र 486 मिमी बारिश हुई है।
अगस्त महीने तक बारिश की कमी 38 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि जुलाई महीने तक बारिश की कमी 39
प्रतिशत दर्ज की गई थी। हालांकि जून में मानसून की सक्रियता से सामान्य से छह प्रतिशत अधिक बारिश हुई थी।
मौसम के अनुकूल नहीं होने से खेती किसानी का संकट सूबे में बना हुआ है। साथ ही औसत तापमान अधिक होने
से लोगों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ा है। पिछले दो सालों में राज्य भर में सामान्य से अधिक बारिश होने की
वजह से अधिकतम तापमान सामान्य से नीचे रहा करता था।

बारिश कम होने से ऊपर रहा तापमान मानसून ट्रफ के अपने वास्तविक स्थिति से नीचे की ओर से होने से जुलाई
महीने में बिहार में बारिश काफी कम हुई। इन दिनों में मध्यप्रदेश और ओडिशा की ओर ही मानसून ट्रफ झूलता
रहा। मानसून सीजन का यह सर्वमान्य सिद्धांत है कि जिस ओर मानसून ट्रफ होता है बारिश की सिस्टम भी उसी
तरफ सक्रिय होता है। इस वजह से बारिश की किल्लत बिहार और उत्तरप्रदेश के बड़े भूभाग में बनी रही। रही सही
कसर बंगाल की खाड़ी क्षेत्र की गतिविधियों में कमी ने पूरी कर दी। इस बार बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र
सामान्य से कम और कमजोर बना इस वजह से बारिश की कमी को पूरा करने वाला फैक्टर भी नगण्य रहा।
मौसमविद बताते हैं कि बारिश न होने का सीधा असर तापमान की बढ़ोतरी पर होता है यही वजह रही कि सामान्य
से अधिक पारा बिहार के अधिकतर जिलों में देखा गया।

गया नहीं, बक्सर, रोहतास, औरंगाबाद में रहा सर्वाधिक तापमान इससे पहले प्री मानसून की स्थिति बेहतर न होने
सूबे में भारी गर्मी की स्थिति रही थी। बिहार में प्री मानसून सीजन में सर्वाधिक अधिकतम तापमान गया जिले व
उसके आसपास रहता था लेकिन इस बार बक्सर, रोहतास, औरंगाबाद, कैमूर और जमुई जिलों में भी प्रचंड तापमान
दर्ज किया गया। कई जगहों पर अधिकतम पारे में सार्वकालिक रिकॉर्ड तोड़ दिया था। रोहतास और औरंगाबाद तो
कई दिनों तक हीट वेव की चपेट में रहे। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि तब बिहार, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश
के कुछ जिलों में एक उच्च ताप का विशेष त्रिकोणात्मक जंक्शन बना था। जिस वजह से ये इलाके प्रचंड ताप की
चपेट में रहे। इसका कमोबेश असर दक्षिण बिहार के अधिकतर जिलों में दिखता रहा और पछुआ हुआ अप्रैल, मई
महीने और कुछ कुछ जून महीने में झुलसाती रही। पटना सहित दक्षिण बिहार के जिले इससे अधिक प्रभावित रहे
और यहां जुलाई और अगस्त में ज्यादातर दिनों में अधिकतम तापमान सामान्य से दो से तीन डिग्री तक अधिक
रहा है। इस वजह से उमस और गर्मी की स्थिति अधिक बनी रही।

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