अल्पसंख्यकों के साथ बर्ताव को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट पर विदेश मंत्रालय ने जारी किया बयान

अल्पसंख्यकों के साथ बर्ताव को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट पर विदेश मंत्रालय ने जारी किया बयान

अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग की 2025 की वार्षिक रिपोर्ट पर मीडिया के सवालों का भारतीय विदेश मंत्रालय ने जवाब दिया है।

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “हमने अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग की हाल ही में जारी 2025 की वार्षिक रिपोर्ट देखी है, जो एक बार फिर पूर्वाग्रह से भरी हुई और राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित लगती है।”

“यूएससीआईआरएफ बार-बार कुछ घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है और भारत के बहुसांस्कृतिक समाज को गलत तरीके से दर्शाने की कोशिश करता है। यह धार्मिक स्वतंत्रता की चिंता से ज्यादा एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा लगता है।”

विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत 1.4 अरब लोगों का देश है, जहां दुनिया के लगभग सभी धर्मों के लोग मिल-जुलकर रहते हैं। लेकिन हमें उम्मीद नहीं है कि यूएससीआईआरएफ भारत के विविधतापूर्ण और सहिष्णु समाज को सही ढंग से समझेगा या इसकी सच्चाई को मानेगा।

बयान में आगे है, “भारत एक मज़बूत लोकतंत्र और सहिष्णुता का प्रतीक है, जिसे कमज़ोर करने की ये कोशिशें नाकाम रहेंगी। असल में, यूएससीआईआरएफ को ही शक के दायरे में रखा जाना चाहिए।”

मंगलवार को अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने साल 2025 की वार्षिक रिपोर्ट जारी की थी।

इस रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में अल्पसंख्यकों के साथ बुरा बर्ताव किया जा रहा है।

रिपोर्ट में लिखा है, “भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति साल 2024 के दौरान लगातार खराब होती गई, खासकर देश के लोकसभा चुनावों से पहले और बाद के महीनों में। इस दौरान कुछ राज्यों में ऐसे कानून लागू किए गए, जिन्हें धार्मिक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ भेदभावपूर्ण माना गया। साथ ही, नफ़रत भरे बयानों और फ़ैसलों ने भी माहौल को प्रभावित किया।”

इस रिपोर्ट में राजनीतिक दल बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी पर भी बात की गई है।

इसमें लिखा है, “जून में हुए लोकसभा चुनावों से पहले, बीजेपी के सदस्यों, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल थे, उन्होंने मुसलमानों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ नफ़रत भरे बयान और भ्रामक जानकारी फैलाकर राजनीतिक समर्थन जुटाने की कोशिश की।”

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