भारत-पाक के बीच हालिया तनाव ने न सिर्फ दक्षिण एशिया बल्कि पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। दोनों परमाणु संपन्न देशों के बीच बढ़ती तनातनी के कारण अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता की लहर दौड़ गई है। अमेरिका, चीन, यूरोप और अरब देशों की प्रतिक्रियाएं इस बात की ओर संकेत करती हैं कि यह मामला वैश्विक स्तर पर कितना गंभीरता से देखा जा रहा है।
US अमेरिका की प्रतिक्रिया: संयम और वार्ता पर जोर
अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान दोनों से संयम बरतने की अपील की है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “हम दोनों देशों से आग्रह करते हैं कि वे सीधे संवाद के ज़रिए तनाव को कम करें। क्षेत्रीय स्थिरता के लिए यह आवश्यक है कि कोई भी पक्ष उकसावे वाली कार्रवाई से बचे।” अमेरिका ने आतंकी गतिविधियों पर भी चिंता जताई है और पाकिस्तान से आतंकवाद पर कड़ी कार्रवाई की उम्मीद जताई है।
CN चीन की रणनीतिक चुप्पी और संतुलित रुख
चीन, जो पाकिस्तान का करीबी सहयोगी माना जाता है और भारत के साथ भी आर्थिक संबंधों में जुड़ा है, ने काफी संतुलित रुख अपनाया है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा, “हम भारत और पाकिस्तान दोनों के अच्छे मित्र हैं और चाहते हैं कि दोनों पक्ष वार्ता के माध्यम से मुद्दों का समाधान करें।” चीन ने क्षेत्रीय शांति बनाए रखने पर ज़ोर दिया है लेकिन स्पष्ट रूप से किसी पक्ष का समर्थन नहीं किया।
EU यूरोप की चिंता: कूटनीति को प्राथमिकता
यूरोपीय संघ ने भी भारत-पाक तनाव पर चिंता जताते हुए कहा है कि दक्षिण एशिया में स्थिरता, वैश्विक शांति के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यूरोपीय आयोग के विदेश नीति प्रमुख ने कहा, “हम दोनों देशों के साथ लगातार संपर्क में हैं और कूटनीतिक समाधान की अपील करते हैं।” फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन जैसे प्रमुख यूरोपीय देशों ने भी संयम बरतने की सलाह दी है।
SA अरब देशों की प्रतिक्रिया: धार्मिक और आर्थिक समीकरणों का प्रभाव
अरब देशों, विशेषकर सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात, ने दोनों देशों से शांतिपूर्ण समाधान की अपील की है। चूंकि इन देशों के भारत और पाकिस्तान दोनों से मजबूत आर्थिक और धार्मिक संबंध हैं, इसलिए वे खुलकर किसी पक्ष का समर्थन करने से बच रहे हैं। हालांकि, उन्होंने क्षेत्र में अस्थिरता के असर को लेकर चिंता जरूर जताई है और किसी भी संभावित संघर्ष को रोकने के लिए मध्यस्थता की पेशकश भी की है।
भारत-पाक तनाव भले ही क्षेत्रीय हो, लेकिन इसका प्रभाव वैश्विक स्तर पर महसूस किया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय शक्तियां किसी भी सैन्य टकराव को रोकने के लिए प्रयासरत हैं और वार्ता तथा कूटनीति को प्राथमिकता दे रही हैं। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि दोनों देश इस वैश्विक अपील का कितना सम्मान करते हैं और क्या कोई सकारात्मक समाधान निकल पाता है।