मोहम्मद शमी को दुबई में ऑस्ट्रेलिया से सेमीफाइनल मैच के दौरान लोगों ने पानी या जूस पीते देख लिया और सोशल मीडिया आलोचनाओं की झड़ी लग गई। हालांकि शमी के समर्थन में भी कई जानी मानी हस्तियाँ आईं।
दरअसल अभी रमज़ान का महीना चल रहा है और इस्लाम में इसे पवित्र महीने के रूप में देखा जाता है। ऐसे में लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि रमज़ान के दौरान किसी मुसलमान का फास्ट नहीं रखना अपराध है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने कहा था कि रमज़ान के दौरान ऐसी हरकत अपराध है।
शमी के समर्थन में जाने-माने गीतकार और लेखक जावेद अख़्तर आए और उन्होंने कहा, “शमी साहब आप उन कट्टर मूर्खों की परवाह मत कीजिए, जिन्हें क्रिकेट मैच के दौरान मैदान पर आपके पानी पीने से परेशानी है। इससे उनका कोई लेना-देना नहीं है। आप हमें गौरवान्वित कर रही महान भारतीय टीम का एक अहम हिस्सा हैं। आपको और हमारी पूरी टीम को मेरी शुभकामनाएं।”
पाकिस्तान के सिटी-42 चैनल की एंकर ने मोहम्मद शमी के रोज़ा नहीं रखने से जुड़ा सवाल पाकिस्तान के पूर्व कप्तान इंज़माम-उल-हक़ से पूछा तो उन्होंने कहा, “खेलते वक़्त रोज़ा छोड़ना कोई वैसी बात नहीं है। मुझे लगता है कि ज़्यादा आपत्ति इस बात से हुई कि उसने सार्वजनिक रूप से पानी पी लिया। खेलते हुए रोज़ा रखना मुश्किल है। हमलोग का भी अपना अनुभव है। रोज़े के दौरान मैच होता था तो वाटर ब्रेक के दौरान पाकिस्तान की टीम स्क्रीन के पीछे चली जाती थी”
इंज़माम-उल-हक़ ने कहा, “स्क्रीन के पीछे पानी पी लेते थे या जो भी करना है, करते थे। लेकिन सामने एहतराम करते थे। मुझे उससे यही कहना है कि पानी स्क्रीन पर ना पीएं। पानी पीछे जाकर पी लें। अगर आप सफ़र में हैं तो रोज़ा छोड़ने की इज़ाजत है।”
“खेलते हुए रोज़ा रखना बहुत मुश्किल काम है. किसी को ख़ुश करने के लिए न रोज़ा रखा जाता है और न छोड़ा जाता है। तेज़ गेंदबाज़ को तो सबसे ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है। ऐसे में मैं स्पोर्ट्समैन के नाते कह रहा हूँ कि खेल के दौरान रोज़ा रखना मुश्किल काम है।”