जानें कार्तिक मास क्यों है आपके लिए खास ?

जानें कार्तिक मास क्यों है आपके लिए खास ?
punjabkesri.in

कार्तिक मास का आरम्भ आज यानी 10 अक्टूबर से हो चुका है। इसी के साथ आज से कार्तिक स्नान का भी आरम्भ हो चुका है।

कार्तिक मास भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। इस महीने में विशेष रूप से विष्णु भगवान की आराधनाकी जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उन्हें मन चाहा फल प्रदान करते हैं। कार्तिक मास भगवान विष्णु की पूजा के साथ – साथ तुलसी की पूजा के लिए भी बेहद खास माना जाता है। 8 नवम्बर को कार्तिक पूर्णिमा के साथ ही कार्तिक मास का समापन होगा। कार्तिक मास धन प्राप्ति एवं सुख समृद्धि की दृष्टि से भी बेहद खास है। आइए जानते है कार्तिक मास से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

आखिर क्यों महत्वपूर्ण है कार्तिक मास ?

पौराणिक मान्यताओं की बात की जाए तो चतुर्मासों में से कार्तिक मास को सर्वाधिक महत्वपूर्ण महीना माना जाता है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि इसी माह की देवोत्थान  एकादशी पर भगवान विष्णु चार महीने की निंद्रा के बाद जागृत होते हैं। इसी माह में आने वाला तुलसी पूजन भी अपने आप में बेहद खास है। इसी माह में तुलसी और शालिग्राम के विवाह का आयोजन भी होता है। इस महीने में गंगा स्नान,  द्वीप दान,  यज्ञ और अनुष्ठान का पालन करने से परम फल की प्राप्ति होती है। इसी महीने में  धनतेरस,  दीपावली,  छठ और कार्तिक पूर्णिमा जैसे महत्वपूर्ण त्यौहार पड़ते हैं।

कार्तिक मास में तुलसी पूजन का महत्व

तुलसी को विष्णुप्रिया के नाम से भी अभिहित किया जाता है। इस माह में तुलसी पूजन का भी विशेष महत्व है। इस माह में तुलसी के पौधे के नीचे घी का दीपक जलाना बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है जिससे धन लाभ होता है। कार्तिक माह में आने वाली पूर्णिमा के दिन शालिग्राम और तुलसी के विवाह का आयोजन भी किया जाता है।

कार्तिक मास में भोजन पर दें विशेष ध्यान 

ऐसी मान्यता है कि इस माह भगवान विष्णु मत्स्य के अवतार में होते हैं। अतः इस माह में मछली का सेवन आपके लिए  हानिकारक साबित हो सकता है। इसके साथ ही अन्य प्रकार के तामसिक खाद्य पदार्थ जैसे मास,  मदिरा,  प्याज,  लेहसुन  इत्यादि का सेवन भूलकर भी ना करें।

इसके साथ ही सब्ज़ियों की यदि बात की जाए तो बेंगन खाना अशुभ माना जाता है। द्विदलन यानी दो भागों में बटी दालों  का सेवन भी इस माह के दौरान वर्जित माना गया है। जैसे – चना,  उड़द,  मसूर,  मूंग,  मटर आदि।

दही और जीरे का सेवन भी इस महीने में नहीं करना चाहिए। दही का सेवन आर्थिक दशा को कमज़ोर करता है और साथ ही यह संतान के लिए कष्टकारी साबित हो सकता है।

इस माह में करेले का सेवन भी स्वास्थ की दृष्टि से उचित नहीं है। करेला शरीर में वात प्रकृति की वृद्धि करता है। साथ ही इस माह में बारिश के कारण करेले में कीड़ें भी पड़ जाते है। ऐसे में करेले का सेवन करने से बचना चाहिए। 

इस माह में मूली का सेवन करना सर्वाधिक उचित है। इस मौसम में कफ और पित दोष होने की समस्या का भय बना रहता है। इन दोनों ही समस्याओं में मूली का सेवन करना स्वास्थ के लिए फायदेमंद है।

ये शुभ कार्य सवार सकते हैं आपकी किस्मत

कार्तिक के महीने में गंगा स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है। परन्तु यदि आप पवित्र गंगा नदी में डुबकी नहीं लगा सकते तो आप आपने स्नान करने के पानी में थोड़ा सा गंगा जल मिलाकर उससे स्नान कर सकते हैं।

इस माह तुलसी का विशेष महत्व है। ऐसे में  इस  महीने के 30 दिन लगातार तुलसी के पौधे के नीचे द्वीप जलाना बेहद शुभ माना जाता है । लेकिन यदि आप ऐसा करने में असमर्थ है तो देवोत्थान एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक  5 दिन तक दीपक ज़रूर जलाएं। इससे भगवान कुबेर की कृपा भी प्राप्त होती है।

कार्तिक मास में शाम की पूजा के समय तिल का दीपक जलाना बेहद शुभ माना जाता है।  इससे धन लाभ होने की संभावना होती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु ने स्वयं कुबेर जी से कहा था कि कार्तिक मास में जो मेरी उपासना करे उसे कभी धन की कमी मत होने देना। इसके अलावा कार्तिक माह में प्लंग पर सोने की बजाए भूमि पर सोना ज़्यादा लाभकारी माना जाता है। साथ ही कार्तिक महीने में गरीबों को दान करने से तमाम समस्याओं का समाधान होता है।

Total
0
Shares
Previous Post
दिल्ली में झमाझम बरसे बदरा, 53 सालों का रिकॉर्ड टूटा, जानें क्या होगा मौसम का हाल ?

दिल्ली में झमाझम बरसे बदरा, 53 सालों का रिकॉर्ड टूटा, जानें क्या होगा मौसम का हाल ?

Next Post
क्या  आपने  कभी  देखा  है  अद्भुत्त  रंगों  वाला  पैंथर  गिरगिट ?

क्या  आपने  कभी  देखा  है अद्भुत्त रंगों  वाला  पैंथर  गिरगिट ?

Related Posts
pCWsAAAAASUVORK5CYII= भारत के प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंग

भारत के प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंग

12 ज्योतिर्लिंग स्तुति सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम् ।उज्जयिन्यां महाकालम्ॐकारममलेश्वरम् ॥१॥ परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमाशंकरम् ।सेतुबंधे तु…
Read More
Total
0
Share