सोशल मीडिया पर एक मौलाना का वीडियो शेयर हो रहा है, जिसमें वो कह रहा है कि जिस दिन हम मुसलमान 80 करोड़ हो जाएंगे, उस दिन से वो आवाज नहीं उठा पाएंगे। मौलाना साजिद रशीदी कह रहा है कि मुसलमानों को हिंदुओं की तरह हम दो हमारे दो का कॉन्सेप्ट नहीं अपनाना चाहिए।
मौलाना साजिद का कहना है की हमें हिंदुओं के हम दो हमारे दो कॉन्सेप्ट को नहीं माननी चाहिए, हमें आबादी बढ़ानी चाहिए। मौलाना का ये बयान जो भी है, मगर यह जानते हैं कि क्या वाकई में भारत में एक दिन हिंदुओं से ज्यादा मुसलमानों की आबादी हो जाएगी? सोशल मीडिया पर लोग केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से पॉपुलेशन कंट्रोल बिल लाने की डिमांड क्यों कर रहे हैं? यहां तक कह रहे हैं कि आपातकाल के दौरान जिस तरह का नसबंदी प्रोग्राम चलाया गया था, वैसा ही नसबंदी कार्यक्रम मुसलमानों पर भी चलाया जाए। क्या ऐसा संभव है इसे समझते हैं।
भारत में फिर होगा सख्त नसबंदी प्रोग्राम?
प्राजक्ता आर गुप्ते की किताब India: “The Emergency” and the Politics of Mass Sterilization में कहा गया है कि भारत में जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। ये एक बड़ी चिंता का विषय है, खासकर पिछले 50 सालों से। संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने जून 2017 में बताया कि भारत की आबादी 2050 तक 1.5 अरब हो जाएगी। जनसंख्या को कंट्रोल करने के लिए भारत 1951 से ही नसबंदी का तरीका अपना रहा है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 2011 में दुनिया भर में जितनी महिलाओं की नसबंदी हुई, उसमें से 37% अकेले भारत में हुई थी।
क्या वाकई में हिंदुओं की आबादी घटी, मुस्लिमों की बढ़ी
बीते साल प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत में 1950 से 2015 के बीच हिंदुओं की आबादी 7.82 फीसदी घट गई। वहीं मुस्लिमों की आबादी में 43.15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। हिंदुओं की आबादी हिंदू बहुल नेपाल में भी घटी है। परिषद ने ये आंकड़े 167 देशों में 1950 से 2015 के बीच आए जनसंख्य की बदलाव के अध्ययन के बाद जारी किए हैं। इन देशों में बहुसंख्यक उन्हें माना गया है, जिनकी आबादी 75 फीसदी से अधिक है। वहीं, अमेरिका की शोध संस्था प्यू रिसर्च के 2020 के अनुमान के मुताबिक भारत में मुसलमानों की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है। पहले नंबर पर इंडोनेशिया और तीसरे पर पाकिस्तान है।⏹