एनबी रमना सेवानिवृत्ति के दिन रजिस्ट्री पर करेंगे बड़ा खुलासा, आइए जानते हैं क्या है पूरी बात

देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रामना भले ही मास्टर ऑफ रोस्टर हो और कोर्ट की 16 पीठों में सुनवाई के लिए
मुकदमों का वितरण करते हो. लेकिन यह जरूरी नहीं है कि कई मामलों में आदेश के बावजूद मुकदमा बेच के आगे
सुनवाई के लिए पहुंचे जाए. मुकदमों की लिस्ट को लेकर वे सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री के आगे बेबस है. दरअसल
बुधवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध एक मामले को रजिस्ट्री द्वारा हटा देने से मुख्य न्यायधीश चुप हो गए.
उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे पर 26 तारीख को अपने विवाद भाषण में बोलेंगे.

बुधवार को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष एक वरिष्ठ वकील ने कहा कि उनका मामला सूची बुध था. लेकिन बाद में
उसे सूची से हटा दिया गया. इस पर जस्टिस रामना ने कहा कि कई मुद्दे हैं. जिन्हें वह उठाना चाहते हैं. लेकिन
वह नहीं चाहते कि पद छोड़ने से पहले बोले अपने विदाई भाषण में जरूर बोलेंगे. वरिष्ठ वकील ने कहा कि सूची से
मामले के अंतिम समय में हटने से दिक्कत होती है. हम रात को 8:00 बजे तक तैयारी करते हैं. बाजी से भी
बातचीत होती है. अगले ही दिन जब सुनवाई का मौका आता है तो पता चलता है कि उसकी जगह कोई और
मुकदमा सूची बुध है.

पिछले हफ्ते जस्टिस डिवाइस चंद्रचूड़ की पीठ ने रजिस्ट्री अधिकारियों से जवाब मांगा था कि मुकदमा एक निश्चित
दिन पर लगाने का आदेश जारी होने के बावजूद उसे क्यों नहीं लगाया गया. इससे पूर्व एक मुख्य न्यायाधीश ने
रजिस्ट्री के अधिकारियों को कोर्ट में ही बिठा लिया था और कहा था कि वह सुने वकील कैसे शिकायत करते हैं.
रजिस्ट्री में लालफीताशाही का आलम है कि एक जज को अपने और धनिए की फटी हुई टोपी बनाने में बड़ी
मशक्कत करनी पड़ी थी. जज बाद में देश के मुख्य न्यायाधीश भी बने जज साहब ने अपना अनुभव साझा करते
हुए बताया कि जब उन्होंने अर्दली से टोपी के बारे में पूछा तो उसने बताया कि कई बार प्रयास करने के बावजूद
बदलाव नहीं हो पा रहा. इस पर न्यायाधीश ने रजिस्ट्री में फोन किया. लेकिन कोई बात नहीं हो पाई फिर लिख
कर देने के 2 महीने बाद अर्दली की टोपी बदल जा सकती है.