वन टाइम प्लास्टिक के कचरे से निकाला जाएगा कीमती हीरा, आइए जानते हैं क्या है पूरी जानकारी

प्लास्टिक को पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा माना जाता है क्योंकि यह लड़का नहीं है और काफी लंबे समय तक
पर्यावरण में रहकर पर्यावरण को काफी हद तक घोषित कर देता है. विश्व में हर साल 30 करोड़ टन प्लास्टिक का
उत्पादन किया जाता है निस्तारण की व्यवस्था नहीं की गई है. इसके लिए प्लास्टिक कचरे का प्रबंधन पूरे विश्व के
लिए गंभीर समस्या बनता जा रहा है.

कैलिफोर्निया में एसएलएसी नेशनल एक्सीलेटर लिबर्टी के संस्थाओं इस समस्या से निजात पाने का कारगर तरीका
ढूंढ निकाला है. शोधकर्ताओं ने लेजर का इस्तेमाल कर प्लास्टिक की बोतलों से बनाने का तरीका खोज लिया है.

प्लास्टिक को हीरा बनाने के लिए संसद कर्ताओं ने उसी पद्धति का अनुसरण किया जिसके माध्यम से नेपच्यून
और यूरेनस पर हीरे की वर्षा होती है. पृथ्वी से कई गुना बड़े यूरेनस और नेपच्यून ग्रह पर मीथेन गैस है इस केस
में हाइड्रोजन और कार्बन के अनु होते हैं. जिस तरह से पृथ्वी पर वायुमंडलीय दबाव के कारण पानी भाप बनकर
बारिश का रूप लेता है उसी कारण नेपच्यून और यूरेनस ग्रह पर जब मिथेन पर दबाव बनता है तो हाइड्रोजन और
कार्बन के अणुओं के बीच का बांध टूट जाता है. इसके बाद कार्बन उसमें मौजूद कार्बन के अनु हीरे में बदल जाते हैं
और वही हीरे की बारिश होती है.

ग्रहों पर हीरे बनने की प्रक्रिया से प्रेरणा लेते हुए संशोधन कर्ताओं ने प्रयोगशाला में मिथेन की जगह पॉलिथीन
प्लास्टिक को हाई पावर वाले ऑप्टिकल लेजर के इस्तेमाल से 10800 डिग्री फारेनहाइट पर गर्म किया इस प्रयोग
से हीरे जैसी रचनाएं बनती दिखाई गई. भौतिक विज्ञानी प्रोफेसर डेमोनिक कोर्ट ने बताया कि शोध के दौरान पीईटी
में उन दोनों ग्रहण ओं की तरफ ही कार्बन हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के बीच एक अच्छा संकलन देखा गया.
उल्लेखनीय है कि पीटीआई का प्रयोग प्राय सिंगल यूज प्लास्टिक के निर्माण में होता है.