दो देशों सहित रूस की तीन दिवसीय यात्रा पर रवाना हुए प्रधानमंत्री मोदी! क्यों रूस के साथ है खास दोस्ती? Prime Minister Modi leaves for two-day visit to Russia! Why is there a special friendship with Russia?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार 8 जुलाई को 3 दिवसीय विदेश यात्रा के लिए रवाना हो गए हैं। इस बार वे 2 दिन रूस की राजधानी मॉस्को में बिताएंगे जहां रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। उसके बाद ऑस्ट्रिया के दौरे पे जायेंगे। ये यात्रा अपने आप में कई पहलुओं में महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री के रूप में तीसरी बार कार्यभार सँभालने के बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा है।
रूस यूक्रेन युद्ध के बाद मोदी की यह पहली रूस यात्रा है। पिछले ही माह मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत हुई है। परम्परानुसार प्रधानमंत्री चुने जाने के तुरंत बाद एक विदेश यात्रा पर जाना अनिवार्य होता है। ऐसे में प्रधानमंत्री ने विदेश यात्रा के लिए रूस जाने का निर्णय लिया है। रूस भारत के साथ हर परिस्थिति में मजबूती के साथ खडा रहा है। इसकी मजबूती की नींव 9 अगस्त 1971 की पडी, जब दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने भारत - सोवियत संधि पर हस्ताक्षर किए थे। उस समय रूस सोवियत संघ (USSR) के नाम से जाना जाता था।
थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन ने इसे 20वीं सदी की भारत की विदेश निति की सबसे महत्वपूर्ण संधि बताया है।
पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) 1971 में अपनी अस्मिता की सुरक्षा के लिए जूझ रहा था। पश्चिमी पाकिस्तान के द्वारा हो रहे अत्याचारों के खिलाफ लडने के लिए उसने भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई। तब भारत सरकार ने भारतीय सेना को यह काम सौंपा। भारतीय सेना ने बांग्लादेश की मुक्ति मोर्चा वाहिनी के साथ मिलकर पश्चिमी पाकिस्तानी सेना को खदेड दिया। पाकिस्तान की मदद के लिए अमेरिका ने अपने सातवें बड़े को भारत के खिलाफ बंगाल की खाडी की तरफ रवाना कर दिया था। तब भारत की रक्षा के लिए रूस ने अपने विध्वंसक पोत को बंगाल की खाडी की तरफ खड़ा कर दिया था। भारत के हस्तक्षेप के कारण ही बांग्लादेश 1971 में एक राष्ट्र बना। सोवियत संघ ने संयुक्त राष्ट्र में भी भारत की मदद की। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में युद्धविराम को लेकर लाए तीन प्रस्ताव को सोवियत संघ ने वीटो कर दिया था।
एक तो आर्थिक रूप से मजबूत भारत प्रौद्योगिकी और निवेश के लिए पश्चिम की तरफ ज्यादा आकर्षित हुआ है। ऐसे में भारत रूस के साथ ज्यादा दोस्ती दिखाकर पश्चिम के साथ अपने संबंधों को खराब नहीं करना चाहता। दूसरा जब से रूस ने क्रीमिया पर कब्जा किया है तब से उसके सम्बन्ध पश्चिम के साथ अचे नहीं रहे हैं। इस कारण रूस का झुकाव लगातार चीन की तरफ बढ़ता ही जा रहा है जो भारत के लिए एक चिंताजनक स्थिति है। पुतिन और जिनपिंग ने भारत की नाराजगी के बाद भी ‘बिना किसी सीमा के दोस्ती’ की घोषणा की। भारत का सैन्य उपकरण का अधिकांश हिस्सा अभी भी रूस से आयात होता है।
भारत ने रुस पर लगे प्रतिबंधों और एक ही देश पर निर्भरता के कारण रक्षा खरीद में विविधता लाना शुरू कर दिया है। लेकिन भारत को अभी और लम्बे समय तक रक्षा उपकरणों के लिए रूस पर निर्भर रहना पडेगा। इसका साथ ही भारत ने रूस के साथ S-400 वायु रक्षा प्रणालियों के दो स्क्वाड्रन का भी खरीद पर हस्ताक्षर किये हैं। भारत को यही डर है कि रूस, चीन के साथ संवेदनशील तकनीक साझा कर सकता है। दूसरा चीन और पाकिस्तान के साथ टकराव की स्थिति में स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति धीमी कर सकता है।