दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को रामदेव को उनकी उस टिप्पणी पर फटकार लगाई जिसमें उन्होंने हमदर्द के रूह अफ़ज़ा को लेकर “शरबत जिहाद” जैसा शब्द इस्तेमाल किया था।
जस्टिस अमित बंसल हमदर्द फ़ाउंडेशन की उस याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जो रामदेव की कंपनी पतंजलि फूड्स लिमिटेड के ख़िलाफ़ दायर की गई है।
जस्टिस बंसल ने रामदेव के वकील से कहा, “यह टिप्पणी कोर्ट की अंतरात्मा को झकझोरती है। आप अपने मुवक्किल से निर्देश लें, वरना हम सख़्त आदेश देंगे।”
कोर्ट के इस निर्देश पर पंतजलि की ओर से कहा गया कि टिप्पणी और उससे जुड़े वीडियो और विज्ञापनों को हटा दिया जाएगा या उनमें बदलाव किया जाएगा। पतंजलि की ओर से पेश हुए वकील राजीव नायर ने कहा कि वे किसी भी धर्म के ख़िलाफ़ नहीं हैं और वे विवादित वीडियो और विज्ञापन हटाने के लिए तैयार हैं।
जस्टिस बंसल ने कहा कि प्रतिद्वंद्वियों के उत्पादों को लेकर इस तरह का कोई बयान या विज्ञापन या सोशल मीडिया पोस्ट न करने के बारे में हलफ़नामा दायर किया जाए।
जज ने कहा कि वीडियो/विज्ञापनों को तुरंत हटा लिया जाए और पांच दिनों के अंदर हलफ़नामा दायर किया जाए। इस मामले की अगली सुनवाई 1 मई को होगी।∎