भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शांति कांत दास चरम पर पहुंच चुकी मुद्रास्फीति को 2 साल के अंदर 4 फ़ीसदी तक
लाना चाहते हैं. यह बात उन्होंने मंगलवार को एक मीडिया हाउस को दिए गए इंटरव्यू में कहा था. उन्होंने कहा
मुद्रास्फीति चरम पर है और मूल भाव स्थिर हो रहा है. केंद्रीय बैंक आने वाले हर डाटा पर नजर रखे हुए हैं और
इस मामले में संतोष करके बैठने के लिए कोई जगह नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा आरबीआई ने मई के बाद से दर
में कुल 140 आधार अंकों की वृद्धि की है. जिसमें जून और अगस्त में एक के बाद एक आधा फ़ीसदी की वृद्धि
शामिल हुई है. ताकि मुद्रा स्थिति को 6 फ़ीसदी के अपने लक्ष्य तक लाया जा सके. जुलाई में लगातार तीसरे महीने
उपभोक्ता कीमतों में गिरावट आई है. लेकिन यह अभी भी 6 फ़ीसदी के ऊपर बनी हुई है.
इसके अलावा उन्होंने बैंकों के निजीकरण के मुद्दे पर स्पष्ट किया कि आरबीआई केवल बैंकों के नियमन पर नजर
रखता है. बैंकों के मालिकाना हक को लेकर कोई भूमिका नहीं होती है. यह स्पष्टीकरण उन्होंने आरबीआई की तरफ
से जारी स्वतंत्र लेख को लेकर दिया था. उन्होंने यह भी कहा कि क्रिप्टो करेंसी बहुत अधिक वित्तीय अस्थिरता पैदा
कर सकती है. इसका विदेशी मुद्रा दर और नीति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.
दास ने आगे यह भी कहा कि हम विकास के बलिदान के बिना चार फीसदी मुद्रास्फीति लक्ष्य तक पहुंचेंगे दास ने
तर्क दिया कि कई कारक महंगाई में योगदान करते हैं. जिसमें यूरोप और अमेरिकी जैसे क्षेत्रों से विश्व स्तर पर
टकराव शामिल है.