सुदर्शन सेतु भारत का सबसे लंबा केबल ब्रिज है। इस पुल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को समर्पित किया। आइए जानते हैं कि गुजरात के द्वारका में बने इस पुल की खास बातें क्या है?
सुदर्शन सेतु के बारे में
प्रधानमंत्री मोदी ने 25 फरवरी को गुजरात के द्वारका में 'सुदर्शन सेतु' का उद्घाटन किया। यह केबल ब्रिज ओखा को समुद्र के बीच में स्थित बेयट द्वारका से जोड़ता है। इसकी लंबाई पर नजर डालें तो यह करीब 2.32 किलोमीटर लंबी है। बेट द्वारका द्वारका शहर से लगभग 30 किमी दूर ओखा बंदरगाह के पास एक द्वीप है, जहां भगवान कृष्ण का प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर स्थित है।
'सुदर्शन सेतु' के बारे में खास बातें
'सुदर्शन सेतु' का निर्माण 979 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है। इसे ओखा-बेट द्वारका सिग्नेचर ब्रिज के नाम से भी जाना जाएगा। यह पुल शहरवासियों और द्वारकाधीश मंदिर आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए बहुत महत्व रखेगा।
चार लेन वाले 27.20 मीटर चौड़े पुल के दोनों तरफ 2.50 मीटर चौड़े फुटपाथ हैं। बताया जा रहा है कि सुदर्शन ब्रिज का डिजाइन अनोखा है। इसमें एक फुटपाथ है जिसे श्रीमद्भगवद गीता के श्लोकों और दोनों तरफ भगवान कृष्ण की छवियों से सजाया गया है।
फुटपाथ के ऊपरी हिस्से पर सौर ऊर्जा पैनल भी लगाए गए हैं, जिससे एक मेगावाट बिजली पैदा होगी।
सुदर्शन सेतु के निर्माण से पहले तीर्थयात्रियों को बेट द्वारका तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता था।उन्हें नाव पर निर्भर रहना पड़ता था। मौसम खराब था तो लोगों को इंतजार करना पड़ा। अब इस पुल के बनने से देवभूमि द्वारका एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण के रूप में भी काम करेगा। इसके अलावा यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं का काफी समय भी बचेगा।
इस पुल का डेक मिश्रित स्टील-प्रबलित कंक्रीट से बना है।
इस पुल के निर्माण को साल 2016 में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने मंजूरी दी थी। प्रधानमंत्री मोदी ने 7 अक्टूबर, 2017 को ओखा और बेट द्वारका को जोड़ने वाले पुल की आधारशिला रखी थी। पहले इसकी अनुमानित लागत 962 करोड़ रुपये थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ा दिया गया।