सुनीता विलियम्स को धरती पर सही सलामत लाने के लिए कितनी स्पीड जरूरी, स्पेसएक्स के लिए क्या सावधानी

elWgAAAABJRU5ErkJggg== सुनीता विलियम्स को धरती पर सही सलामत लाने के लिए कितनी स्पीड जरूरी, स्पेसएक्स के लिए क्या सावधानी

अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की धरती पर वापसी का 9 महीने का इंतजार जल्द ही खत्म होगा। धरती पर सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की वापसी को लेकर एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) के साथ मिलकर 13 मार्च को फॉल्कन 9 रॉकेट के जरिए क्रू-10 मिशन लॉन्च किया है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के अनुसार ‘स्पेसएक्स’ आगामी अंतरिक्ष यात्री उड़ानों के लिए कैप्सूल बदलेगा, ताकि बुच विल्मोर और सुनीता विलियम्स को मार्च के अंत या अप्रैल की शुरुआत के बजाय मार्च के मध्य में ही वापस लाया जा सके। जानते हैं कि उनकी धरती पर वापसी किस तरह से होगी और उसमें क्या सावधानियां बरतीं जाएंगी?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व साइंटिस्ट विनोद कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि नासा-स्पेसएक्स का स्पेसक्राफ्ट 15 मार्च को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर पहुंचेगा और डॉक करेगा। इसके बाद ये चारों नए अंतरिक्ष यात्री क्रू-9 का कामकाज संभालेंगे। क्रू-9 के सदस्य 19 मार्च को पृथ्वी के लिए रवाना होंगे। हालात ठीक रहे तो सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर मार्च में ही धरती पर लौट आएंगे। इसमें 2 से 5 दिन का वक्त लग सकता है। ये यात्री जिस स्पेसक्रॉफ्ट से आएंगे, उसकी लैंडिंग अटलांटिक महासागर में होगी। धरती पर लैंडिंग की प्रक्रिया को स्प्लैशडाउन कहते हैं।

कई बार मिशन को लग चुका है झटका, ये थी वजह

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में पिछले 9 महीने से फंसी नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर की घर वापसी के मिशन को हाल ही में झटका लगा था।दरअसल, स्पेसएक्स ने रॉकेट के लॉन्चपैड में आखिरी मिनट की तकनीकी समस्या के कारण बीते बुधवार को क्रू-10 के प्रक्षेपण स्थगित कर दिया था। इससे पहले भी कई बार मिशन को झटका लग चुका है। बीते साल 5 जून को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचने के बाद अंतरिक्ष यान में हीलियम की लीकेज की समस्या आई थी। इसके 5 थ्रस्टर भी खराब हो गए थे। यहां तक कि यान को बिजली देने वाला सर्विस मॉड्यूल में भी दिक्कतें आईं।

एंट्री के लिए ये एंगल होना जरूरी है

विनोद कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि धरती पर एंट्री करने के दौरान यान का एंगल 94.71 डिग्री से लेकर 99.80 डिग्री तक रहना चाहिए। हर एंट्री एंगल से धरती के वातावरण में प्रवेश करने के बाद कैप्सूल का ऊपरी हिस्सा पूरा जल जाएगा और नीचे का हिस्सा, जिसमें यात्री रहते हैं वो पैराशूट से नीचे आ जाते हैं।

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