कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने हाल ही में स्वीकार किया कि 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत के रुख की उनकी आलोचना अब उनके लिए शर्मिंदगी का कारण बन गई है। उन्होंने कहा कि भारत की संतुलित कूटनीति के कारण, आज देश स्थायी शांति स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीति के तहत, वे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की दोनों से मिल सकते हैं, जो भारत की स्वीकार्यता को दर्शाता है।
Shashi Tharoor on Russia-Ukraine war: थरूर ने अपने बयान में बताया कि रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के वक्त भारत के रुख पर देश में चर्चा और मतभेद उत्पन्न हुए थे। उन्होंने कहा, “भारत उस समय अपने बयान को लेकर काफी अनिच्छुक था, क्योंकि उसे रूस को नाराज करने से डर था।” थरूर ने यह भी कहा कि उनकी आलोचना इस कारण से थी कि रूस ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन किया था और यह भी कि सीमा की अनुल्लंघनीयता और यूक्रेन की संप्रभुता का उल्लंघन किया गया था।
थरूर ने रायसीना डायलॉग में कहा कि फरवरी 2022 में, जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था, तब उन्होंने भारत के तटस्थ रुख की आलोचना की थी। उनका मानना था कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर और संप्रभुता के सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ है, इसलिए भारत को इसकी निंदा करनी चाहिए थी। हालांकि, अब तीन साल बाद, वे महसूस करते हैं कि भारत की नीति ने उसे एक विश्वसनीय मध्यस्थ बना दिया है।
थरूर ने रायसीना डायलॉग में मानी गलती
थरूर ने रायसीना डायलॉग में कहा, “मैं अब भी अपने चेहरे पर लगे दाग को छिपा रहा हूं, क्योंकि उस समय भारतीय स्थिति की आलोचना करने वाला मैं ही था।” उन्होंने कहा कि उस समय उन्हें लगता था कि भारत को रूस की इस आक्रामकता की निंदा करनी चाहिए थी, लेकिन अब यह स्पष्ट है कि भारत की नीति ने उसे एक ऐसी स्थिति में लाकर खड़ा किया है, जहां वह दोनों पक्षों को शांतिपूर्वक बातचीत के लिए प्रेरित कर सकता है।
इस प्रकार, थरूर ने स्वीकार किया कि भारत की संतुलित कूटनीति ने देश को वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण भूमिका में स्थापित किया है, जिससे वह स्थायी शांति की दिशा में योगदान दे सकता है।