ये कारण निगम के जाम की बड़ी वजह बन रहे, टोल बूथ फ्री लेन में वाहनों को रोक रहे कर्मी

दिल्ली-गुरुग्राम बॉर्डर पर एमसीडी का टोल प्लाजा भीषण जाम का कारण बन रहा है। व्यस्त समय और कार्य
दिवसों में लोगों को चार से पांच घंटे जाम झेलना पड़ रहा है। वाहनों के दबाव के बीच एमसीडी द्वारा संचालित
टोल जाम की दिक्कत बढ़ा रहा है।

टोल वसूली के लिए अलग से लेन निर्धारित है, लेकिन उसके बाद भी टोल कंपनी के कर्मचारी टोल फ्री लेन में
जाकर वाहनों को रोकते हैं। ऊपर से एमसीडी के टोल प्लाजा पर फास्टैग व्यवस्था फेल है। नकद में टोल वसूला जा
रहा है, जिससे वाहनों को टोल नाका पार करने में अधिक समय लगता है। ऐसे में दिल्ली-गुरुग्राम बॉर्डर एनसीआर
का सबसे बड़ा जाम प्वॉइंट बन गया है।

बीते दिनों दिल्ली के प्रमुख जाम प्वॉइंटों को लेकर एनएचएआई, पीडब्ल्यूडी समेत अन्य एजेंसियों के बीच बैठक
हुई, जिसमें दिल्ली-गुरुग्राम बॉर्डर (एंबियंस मॉल के सामने) लगने वाले जाम को लेकर चिंता जताई गई। इसमें कुछ
एजेंसियों की तरफ से कहा गया कि टोल की व्यवस्था ठीक न होने के कारण जाम लग रहा है। नियम के तहत
एमसीडी द्वारा संचालित टोल प्लाजा की लेन में ही वाहनों को रोककर टोल वसूला जा सकता है लेकिन अगर कोई
वाणिज्यिक वाहन टोल फ्री लेन में आता है तो टोल कर्मी डंडे लेकर उन्हें रोकते हैं और फिर उन्हें एक तरफ ले
जाते हैं। इससे पीछे से आने वाले वाहन रुकते हैं और गति सीमा कम होने पर जाम लगना शुरू हो जाता है।

दिल्ली-जयपुर को जोड़ने वाले इस नेशनल हाईवे पर व्यस्त समय में दिल्ली आने वाला 60 फीसदी ट्रैफिक अकेले
इस मार्ग से आता है। इससे जाहिर है कि अगर कोई भी वाहन रोका जाएगा तो जाम लगना स्वाभाविक है।

32 लेन की रोड फिर भी जाम का ठिकाना बना एमसीडी का टोल प्लाजा जहां संचालित है वहां नेशनल हाईवे सबसे
ज्यादा चौड़ा है। 32 लेन की रोड है, जिसमें आठ लेन टोल के लिए रिजर्व हैं। बाकी लेन निजी वाहनों के आवागमन
के लिए फ्री रखी गई हैं। अब इन फ्री लेन में भी जाम लगने के दो सबसे बड़े कारण हैं। पहला, काफी वाणिज्यिक
वाहन टोल से बचने के लिए टोल फ्री लेन में आते हैं जिन्हें रोकने के लिए टोल कर्मी दौड़ते हैं। जब इन गाड़ियों
को रोका जाता है तो उससे टोल फ्री लेन में जाम लगता है। दूसरे, नकद में टोल वसूली होने से टोल प्लाजा पर
वाणिज्यिक वाहनों को ज्यादा समय लगता है। इसलिए वो फ्री लेन में आते हैं। इन वाणिज्यिक वाहन चालकों को
पता होता है कि आगे फ्री लेन में टोल कर्मी खड़े मिलेंगे। उन्हें वहीं पर नकद में टोल शुल्क दे देंगे।

समस्या को देखते हुए हटाया गया था टोल प्लाजा दिल्ली-गुरुग्राम के बीच वर्ष 2014 के शुरुआती महीनों तक
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया का टोल प्लाजा था।

उस वक्त एनएचएआई अपने ही टोल प्लाजा से एमसीडी के हिस्से का टोल वसूलती थी। यहां लगने वाले भीषण
जाम को देखते हुए लोग दिल्ली हाईकोर्ट गए। कोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया, जिसके बाद एनएचएआई ने
सहमति दी कि वो अपने टोल प्लाजा 42 किलोमीटर दूर खेड़की दौला में बनाएगी। हालांकि, एमसीडी टोल प्लाजा न
हटाने को लेकर भी कोर्ट में गई थी, जिसकी याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया था। कोर्ट के फैसले के बाद तय
किया गया कि यहां पर एमसीडी को अपना टोल प्लाजा चलाने के लिए अलग से लेन रिजर्व रखनी होगी। टोल फ्री
लेन में उसे टोल लेने का कोई अधिकार नहीं होगा।

टोल पर वाहनों को ज्यादा समय न लगे इसके लिए आरएफआईडी यानी फास्टैग के जरिए ही टोल वसूली की
जाएगी।

अहम बातें

● दिल्ली-गुरुग्राम नेशनल हाईवे पर एक दिन में पांच लाख पीसीयू (पैसेंजर कार यूनिट) का दबाव

● सोमवार से शुक्रवार के बीच सुबह और शाम के वक्त चार से छह घंटे का जाम लगता है

● 20 मिनट की दूरी तय करने में वाहन चालकों को चार से छह गुना अतिरिक्त समय लगता है

● एमसीडी दिल्ली में प्रवेश करने वाले सभी व्यावसायिक वाहनों से टोल वसूलती है

गुरुग्राम से शाम को वापस आते वक्त दो से ढाई घंटे सरहौल बॉर्डर पर जाम में फंसना पड़ता है। 25 किलोमीटर के
सफर में रोजाना शाम को साढ़े तीन घंटे से ज्यादा का समय लगता है। जाम के कारण कई बार शाम को घर
लौटने का समय भी बदला, लेकिन जाम में रोज फंसना पड़ता है।

गुरुग्राम स्थित ऑफिस से शाम को 6 बजे निकलने के बाद भी रात को दस बजे के बाद ही घर पहुंच पाते हैं। शाम
को रोजाना तीन से चार घंटे बॉर्डर पर जाम में फंसते हैं। जाम को लेकर कई बार ट्रैफिक पुलिस से शिकायत की
गई, पर कोई राहत नहीं मिली।