पाकिस्तान में बलूचिस्तान प्रांत की स्वतंत्रता की मांग ने हाल के वर्षों में जोर पकड़ा है, जिससे देश की एकता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। बलूच नेताओं और संगठनों ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से बलूचिस्तान को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने की अपील की है।
बलूच नेताओं की अपील
बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (BLF) के प्रमुख डॉ. अल्लाह नजर बलूच ने भारत, सऊदी अरब, यूएई और अन्य देशों से बलूचिस्तान की स्वतंत्रता के लिए समर्थन मांगा है। उन्होंने पाकिस्तान पर बलूचिस्तान के संसाधनों के शोषण और मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया है।
पाकिस्तानी नेताओं की चेतावनी
पाकिस्तान के धार्मिक नेता मौलाना फजलुर रहमान ने संसद में चेतावनी दी है कि बलूचिस्तान के पांच से सात जिले स्वतंत्रता की घोषणा कर सकते हैं, जिससे पाकिस्तान के विभाजन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा हुआ, तो संयुक्त राष्ट्र इन जिलों की स्वतंत्रता को मान्यता दे सकता है।
पूर्व मुख्यमंत्री का बयान
बलूचिस्तान के पूर्व मुख्यमंत्री नवाब असलम रईसानी ने कहा है कि बलूचिस्तान के अधिकांश लोग पाकिस्तान से स्वतंत्रता की मांग कर रहे हैं और इस दिशा में सक्रिय रूप से प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने पाकिस्तान सरकार पर बलूचों के अधिकारों की उपेक्षा और शोषण का आरोप लगाया है।
बलूच आंदोलन के कारण
बलूचिस्तान में स्वतंत्रता की मांग के पीछे कई कारण हैं:
- सांस्कृतिक और भाषाई पहचान की रक्षा की चिंता।
- प्राकृतिक संसाधनों का शोषण और स्थानीय लोगों को उनका लाभ न मिलना।
- पाकिस्तानी सेना द्वारा मानवाधिकारों का उल्लंघन और बलूच युवाओं का जबरन गायब होना।
- विकास की कमी और बुनियादी सुविधाओं का अभाव।
बलूचिस्तान में स्वतंत्रता की मांग ने पाकिस्तान की एकता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि सरकार ने बलूचों की चिंताओं का समाधान नहीं किया, तो देश के विभाजन की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।