विजयदशमी का पावन पर्व आज, इस एक विशेष मंत्र से बदल जाएगा आपका जीवन

आज दशहारे का अंतिम दिन यानी विजयादशमी है। विजयादशमी यानी दशहरा समस्त मनोकामनाओं की
पूर्ति और बुराई पर अच्छाई की जीत का पावन पर्व है। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध करके
संसार को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलाई थी।

भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के
उपरांत महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। इस पर्व को असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया
जाता है। दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य,
हिंसा और चोरी के परित्याग की सदप्रेरणा प्रदान करता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार,किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए विजयादशमी का दिन श्रेष्ठ माना गया
है। इस दिन बिना मुहूर्त निकाले कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। आज दशमी तिथि दोपहर 12
बजे तक रहेगी और श्रवण नक्षत्र रात्रि 9 बजकर 14 मिनट तक है। इसके साथ ही सुकर्मा योग, धृती
योग, बुधादित्य योग और लक्ष्मीनारायण योग रहेगा।

खरीददारी और शुभ कार्य की शुरुआत के लिए ये दिन श्रेष्ठ माना जाता है। आज अमृत का मुहूर्त सुबह
7 से 9 बजे तक, फिर शाम को 5 बजकर 15 मिनट से 6 बजकर 15 मिनट तक रहेगा।

विजयादशमी के दिन इस मंत्र का करें जाप
‘ओम दशरथाय विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात’

मान्यता के मुताबिक इस दिन भगवान राम और माता सीता की विधिवत पूजा-अर्चना करने और इस
मंत्र का जाप करने से जातक को सभी कार्यों में सफलता मिलती है। इसके साथ ही दशहरे पर सुंदरकांड
का पाठ घर में करने या फिर करवाने से सभी बीमारियों और मानसिक समस्याएं दूर होती है और
जातक के जीवन से सभी मुश्किलें दूर हो जाती है।