केरल में वायनाड जिले के तीन गांवों में एक महीने पहले हुए भूस्खलन के बाद अब वहां केवल एक डाकघर, सेल्फी लेने वाले पर्यटकों को रोकने के लिए एक विशेष पुलिस चौकी और वीरान पड़े घरों में चोरी की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए गश्ती दल ही नजर आता है। इन डाकघरों में मृतकों और लापता हुए लोगों के पार्सल बिखरे पड़े है।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, वायनाड के पुंचरीमट्टम, चुरलमाला और मुंडक्कई गांवों के आठ किलोमीटर के दायरे में 30 जुलाई को सुबह के समय भीषण भूस्खलन हुआ, जिसमें 231 से अधिक लोगों की मौत हो गई, जबकि विभिन्न मानव शरीर के 218 अंग बरामद हुए। केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से 470 किलोमीटर दूर वायनाड के पहाड़ी जिले के इन सुरम्य गांवों की ओर जाने वाला केरल राज्य राजमार्ग संख्या 39 इस हृदय विदारक त्रासदी का गवाह है।
केरल के इन तीन गांवों में भूस्खलन के बाद कई मकान क्षतिग्रस्त हो गए तो कुछ बह गए, लेकिन जो कुछ मकान सही सलामत हैं, ये भी अभी वीरान पड़े हैं। सरकारी अधिकारियों ने यहां रहने वाले लोगों को आश्रय स्थलों और किराये के मकानों में स्थानांतरित कर दिया है, जबकि कुछ लोग अपने रिश्तेदारों के घर चले गए हैं। क्षेत्र में तैनात एक सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि कभी-कभी कुछ निवासी अपने घरों को इस उम्मीद के साथ देखने के लिए आते हैं कि प्राकृतिक आपदा के बाद मलबे में दबा उनका समान शायद मिल जाए।
उन्होंने बताया कि भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में 10 दिन तक चला बचाव अभियान अब समाप्त हो गया है और अब अधिक लोगों के जीवित बचे होने की संभावना नगण्य है। चूरलमाला स्थित वल्लारमाला डाकघर की प्रभारी पोस्टमास्टर जी शालिनी पार्सल और पैकेट के ढेर को देखती रहती हैं, क्योंकि सात अगस्त को डाकघर में सेवाएं फिर से शुरू हो गई थी, लेकिन इसके बावजूद वे इन सामानों को वितरित नहीं कर पा रही हैं। स्थानीय डाकिया के मणिकंदन ने एक पार्सल दिखाया। यह पार्सल अजवड़ क्षेत्र में रहने वाले एक व्यक्ति के नाम पर था, लेकिन वह अब इसे कभी भी उस व्यक्ति को नहीं दे पाएंगे।