बहराइच में पिछले कुछ दिनों से जिस तरह से भेड़ियों ने आतंक मचाया हुआ है उसे देखते हुए मुख्यमंत्री ने भी चिंता व्यक्त की है। भेड़िया और मादा श्वान के बेमेल मेल से अस्तित्व में आए वुल्फ डॉग भेड़िये जैसे दिखते हैं। वुल्फ डॉग भेड़ियों से ज्यादा आक्रामक और खतरनाक होते हैं।
भेड़ियों पर शोध कर चुके अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के प्रोफेसर सतीश कुमार का कहना है कि बहराइच और आसपास के जिलों में दहशत फैलाने वाले आदमखोर हमलावर बुल्फ डॉग भी हो सकते हैं। जालौन में वर्ष 2002 में लोगों ने एक नर भेड़िये को पकड़ लिया था। AMU के वन्यजीव विज्ञान विभाग की टीम मौके पर पहुंची। टीम में शामिल रहे प्रोफेसर सतीश कुमार के मुताबिक, लोगों ने बताया कि नर भेड़िया व मादा श्वान की क्रॉस ब्रीडिंग कराएंगे। उससे तैयार नस्ल से खेतों में रखवाली कराएंगे। बातचीत में पता चला कि दूसरे लोग भी ऐसे प्रयोग कर रहे हैं।
बहराइच में भेड़ियों के आतंक के पीछे कई वजहें हो सकती हैं। वन्यजीव विशेषज्ञ केके मिश्रा के मुताबिक, संभव है कि हमलावर भेड़ियों में कोई एक रैबीज पीड़ित कुत्ते के संपर्क में आकर आक्रामक हुआ हो। फिर झुंड के बाकी भेड़िये भी संक्रमित हो गए हों। पिंजरे लगाने या मारने से समस्या खत्म नहीं होगी। उनके व्यवहार में बदलाव के असल कारणों का पता लगाना होगा।
साल 2002 में जालौन में इस तरह का मामला सामने आ चुका है, अंतरराष्ट्रीय भेड़िया शोध संस्थान ने अमेरिका में ऐसे मामलों की पुष्टि की है। वुल्फ डॉग ने उत्तरी अमेरिका और कनाडा में कई लोगों पर हमला किया था। प्रो. सतीश कुमार का मानना है कि बहराइच और प्रदेश के दूसरे जिलों में आतंक फैलाने वाले आदमखोर भेड़ियों में कुछ वुल्फ डॉग भी हो सकते हैं। इनकी संख्या भी बढ़ गई है।
महाराष्ट्र में भेड़ियों पर वर्ष 1992-95 तक किए गए शोध में भी यह बात सामने आई। अंतरराष्ट्रीय भेड़िया शोध संस्थान अमेरिका भी इसकी पुष्टि कर चुका है कि वहां भेड़िये और मादा श्वान के मेल से वुल्फ डॉग नस्ल तैयार हो गई है, जो बेहद खतरनाक है।
भेड़ियों की दहशत से महसी तहसील क्षेत्र के 50 से अधिक गांव के लोग सहमे हुए हैं। सेक्टरवार टीमें तैनात की गई हैं, लेकिन भेड़िये लगातार उन्हें चकमा दे रहे हैं। जिले में अब तक कुल दस लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें नौ बच्चे व एक महिला शामिल है। हमले में अबतक 40 लोग घायल हो गए है।