भूपिन्दर सिंह (Bhupinder Singh) पटियाला रियासत के महाराजा थे। पटिलाया के सातवें महाराजा सर भूपेंद्र सिंह की गिनती भारत के सबसे खर्चीले राजाओं में होती है। उनकी फिजूलखर्ची के चर्चे यूरोप तक थे। वे प्रगतिशील शासन, आधुनिकीकरण के प्रयासों और खेलों तथा संस्कृति में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाने जाते थे। भूपिंदर सिंह एक उत्साही खेल प्रेमी थे, विशेष रूप से पोलो के प्रति उनका विशेष झुकाव था, और उन्होंने भारत में इस खेल को बढ़ावा देने में मदद की।
नाम | सर भूपिन्दर सिंह |
जन्म | 12 अक्टूबर 1891 |
जन्म स्थान | मोती बाग पैलेस, पटियाला |
पिता | महाराजा राजिन्दर सिंह |
माता | महारानी जसमीर कौर |
रियासत | पटियाला रियासत |
खेल | पोलो |
मृत्यु | 28 मार्च 1938, पटियाला, पंजाब, भारत |
महाराजा भूपिंदर सिंह एक प्रमुख पोलो खिलाड़ी थे और उन्होंने भारत में इस खेल को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे अपनी उत्कृष्ट कौशल और पोलो के प्रति जुनून के लिए जाने जाते थे, और अपने समय के सबसे अच्छे खिलाड़ियों में से एक माने जाते थे।
पोलो का प्रचार
भूपिंदर सिंह ने विभिन्न पोलो टूर्नामेंट और कार्यक्रमों का आयोजन किया, जिससे इस खेल की स्थिति को बढ़ावा मिला और लोगों का ध्यान आकर्षित हुआ।
पोलो क्लब की स्थापना
उन्होंने पटियाला पोलो क्लब की स्थापना की, जो पोलो प्रेमियों के लिए एक केंद्र बन गया और प्रतिभाओं को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
राजसी समर्थन
उनकी राजसी सहभागिता ने कई युवा खिलाड़ियों को इस खेल को अपनाने के लिए प्रेरित किया, जिससे क्षेत्र में पोलो का विकास हुआ।
विरासत
उनकी विरासत आज भी जीवित है, और पटियाला से कई वंशज और खिलाड़ी पोलो की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
खेल की उत्कृष्टता
भूपिंदर सिंह ने पोलो में अपनी तकनीकी क्षमता और खेल भावना के लिए ख्याति प्राप्त की। उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया, जिससे उन्होंने भारतीय पोलो का मान बढ़ाया।
टूर्नामेंट का आयोजन
उनके शासनकाल में पटियाला में कई महत्वपूर्ण पोलो टूर्नामेंट आयोजित किए गए, जो न केवल स्थानीय खिलाड़ियों के लिए बल्कि विदेशी खिलाड़ियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बने।
फिल्मी दुनिया में प्रभाव
महाराजा भूपिंदर सिंह के पोलो खेलों पर कई फिल्में और डॉक्यूमेंट्रीज़ बनी हैं, जो उनके जीवन और खेल के प्रति उनके प्रेम को दर्शाती हैं।
भूपिंदर सिंह का जन्म 1891 में पटियाला के रियासत में हुआ था। वे महाराजा आलम सिंह के पोते थे। उनके परिवार का ऐतिहासिक महत्व था, और रियासत के शासक के रूप में उनका वंश महत्वपूर्ण रहा।
महाराजा भूपिंदर सिंह के कई विवाह थे, जिनमें से कुछ राजनीतिक गठबंधनों के तहत हुए थे। उनकी पहली पत्नी, महारानी अजीत कौर, से उनके कई बच्चे हुए। इसके अलावा, उन्होंने अन्य रानियों से भी संतानें प्राप्त कीं।
महाराजा भूपिंदर सिंह को खेलों, विशेषकर पोलो, का बहुत शौक था। वे न केवल एक उत्कृष्ट खिलाड़ी थे, बल्कि खेल को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न टूर्नामेंट भी आयोजित करते थे।
इसके अलावा, उन्हें संगीत, कला और साहित्य में भी गहरी रुचि थी। उन्होंने संगीत के क्षेत्र में भी योगदान दिया और कई प्रसिद्ध कलाकारों का समर्थन किया।
भूपिंदर सिंह सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रहे। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक सुधारों पर ध्यान दिया। उनके द्वारा स्थापित संस्थाएँ आज भी कार्यरत हैं।
महाराजा भूपिंदर सिंह का जीवनशैली शाही थी। वे शानदार महलों में रहते थे और उनकी दरबार में भव्य आयोजन होते थे। उनका रहन-सहन और फैशन उन दिनों के रजवाड़ों के लिए एक आदर्श माना जाता था।
भव्यता और शान
उनके महल की भव्यता और उनके दरबार की शान का कोई मुकाबला नहीं था। उनके पास शानदार घोड़ों, कारों और गहनों का संग्रह था।
धार्मिक समर्पण
वे धार्मिक व्यक्ति थे और उन्होंने विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में भाग लिया। उन्होंने समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए।
महाराजा भूपिंदर सिंह का जीवन अत्यंत भव्य और शाही था। उनके लग्ज़री जीवन के कुछ पहलू निम्नलिखित हैं -
भव्य महल
महाराजा पटियाला के मुख्य महल, जिसे "पटियाला का सिटी पैलेस" कहा जाता है, में रहते थे। यह महल अपने अद्वितीय वास्तुकला और भव्यता के लिए प्रसिद्ध था।
सजावट
महल में सुनहरे दरवाजे, कशीदाकारी वाली दीवारें, और शानदार फर्नीचर होता था। उनके महल की सजावट में भारतीय और यूरोपीय दोनों प्रकार की शैलियाँ शामिल थीं।
शानदार गाड़ियाँ
महाराजा के पास कई लक्ज़री गाडियाँ और घोडों का एक बड़ा संग्रह था। वे अक्सर भव्य घोड़े पर सवार होकर समारोहों में भाग लेते थे।
राजसी गाड़ी
उन्होंने विशेष रूप से तैयार की गई राजसी गाड़ी का उपयोग किया, जो न केवल आरामदायक थी, बल्कि अत्यंत भव्य भी थी।
अद्वितीय फैशन
महाराजा भूपिंदर सिंह की वेशभूषा बहुत शाही होती थी। वे हमेशा उत्कृष्ट कपड़े पहनते थे, जो उनकी उच्च स्थिति को दर्शाते थे।
गहनों का संग्रह
उनके पास अनमोल गहनों का एक बड़ा संग्रह था, जिसमें रत्न, हार, और अन्य आभूषण शामिल थे। उनका आभूषण संग्रह अद्वितीय और ऐतिहासिक महत्व का था।
भव्य उत्सव
महाराजा भूपिंदर सिंह के दरबार में अक्सर भव्य समारोह और उत्सव आयोजित होते थे। इन आयोजनों में नृत्य, संगीत और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम होते थे।
विशिष्ट अतिथि
वे प्रसिद्ध व्यक्तियों और अन्य रजवाड़ों को आमंत्रित करते थे, जिससे उनके दरबार में हमेशा एक जीवंत माहौल बना रहता था।
भूपिन्दर सिंह 1936 में जर्मनी के दौरे पर गए हुए थे। उस समय के सबसे प्रसिद्ध ग्लोबल लीडर के तौर पर अपनी पहचान बना चुके हिटलर से मिलने के भूपिन्दर सिंह ने समय मांगा। लेकिन हिटलर मिलने की बात को लेकर टालमटोल करता रहा। अंत में वह 5 से 10 मिनट की मुलाकात के लिए राजी हुआ। मुलाकात के समय हिटलर, महाराजा भूपिन्दर सिंह से इतना ज्यादा प्रभावित हुआ की मुलाकात का समय कब 1 घंटे से ज्यादा हो गया किसी को भी भनक नहीं लगी। इस मुलाकात के बाद हिटलर और महाराजा भूपिन्दर सिंह लगभग रोज ही मिलने लगे।
हिटलर ने महाराजा भूपिन्दर सिंह को एक मेबैक विंटेज कार उपहार स्वरुप प्रदान की। जिसे जर्मनी से जहाज से भारत लाया गया।
विश्वविख्यात पटियाला पैग की शुरुआत महाराजा भूपिन्दर सिंह ने की थी।
महाराजा भूपिंदर सिंह का निधन 23 मार्च 1938 को हुआ। उनका जीवन और कार्य आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं, और वे भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व बने हुए हैं।