आम बोलचाल में ‘चंद्रशेखर’ के नाम से मशहूर चन्द्रशेखर सिंह एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे। वे 10 नवंबर, 1990 से 21 जून, 1991 के बीच भारत के 8वें प्रधानमंत्री के रूप में कार्यरत रहे थे। सन 1984 में भारत की पदयात्रा की, जिससे उन्हें भारत को निकट से जानने का मौका मिला। सन 1977 मे बलिया जिले से पहली बार लोकसभा के सांसद बने। सन 1995 में आउटस्टैण्डिंग पार्लिमेन्टेरियन अवार्ड भी मिला था। आज 8 जुलाई उनकी पुण्यतिथि पर जानतें हैं उनके बारे में कुछ विशेष बातें।
भारत के 8वें प्रधानमंत्री चन्द्र शेखर का जन्म 17 अप्रैल, 1927 को उत्तर प्रदेश के बलिया के एक गाँव इब्राहिमपट्टी में हुआ था। उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि कृषकों की रही थी।
सतीश चंद्र पी.जी. कॉलेज से उन्होंने बैचलर ऑफ आर्ट्स (स्नातक) की डिग्री प्राप्त की। तत्पश्चात, उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री प्राप्त की।
नाम | चंद्रशेखर सिंह |
जन्म तिथि | 17 अप्रैल 1927 |
जन्म स्थान | इब्राहिमपट्टी जिला बलिया (उ0 प्र0) |
प्रधानमंत्री | 10 नवंबर 1990 – 21 जून 1991 |
पिता | श्री सदानंद सिंह |
माता | श्रीमती द्रौपदी देवी |
पत्नि | श्रीमती द्विजा देवी |
बच्चे | 2 बेटे (पंकज सिंह, नीरज सिंह) |
व्यवसाय | राजनीति |
मृत्यु | 8 जुलाई 2007 (नई दिल्ली ) |
पार्टी | समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) |
उन्होंने अपनी राजनीती की शुरुआत छात्र राजनीती से की। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में मास्टर्स डिग्री के बाद, वह समाजवादी आंदोलन में शामिल हो गए। वे जिला प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, बलिया के सचिव चुने गये। एक वर्ष के भीतर ही वे यूपी के संयुक्त सचिव चुने गये। राज्य प्रजा सोशलिस्ट पार्टी में उन्होंने 1955-56 में उन्होंने उत्तर प्रदेश राज्य प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के महासचिव का पद संभाला। किन्तु वर्ष 1964 में वे सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए।
यदि पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के संसदीय सफर की बात करें तो वे 1962 से 1967 तक राज्य सभा के सदस्य रहे।
कांग्रेस पार्टी के सदस्य के रूप में, उन्होंने 1975 में आपातकाल की घोषणा के लिए इंदिरा गांधी की तीखी आलोचना की। इस कारण आपातकाल के दौरान चन्द्रशेखर को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया।
आपातकाल के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और वह ‘जनता पार्टी’ के अध्यक्ष बने।
सन् 1977 के लोकसभा चुनावों में जनता पार्टी की जीत हुई किन्तु 1980 का आम चुनाव जनता पार्टी हार गयी। 1984 में पार्टी को केवल 10 ही सीटें मिलीं।
इस दौरान जनता पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष चंद्रशेखर 1977, 1980, 1989, 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में जनता पार्टी के विभिन्न अवतारों के सदस्य के रूप में बलिया से लोकसभा के लिए चुने गए। इस अवधि में वे केवल एक बार 1984 के चुनाव में वह सीट हारे।
मई 1988 में लोकदल (ए) का जनता पार्टी में विलय के बाद तो चंद्रशेखर ने जनता पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
चन्द्रशेखर बहुत ही काम समय के लिए प्रधानमंत्री पद पर रहे। वे सात महीने तक प्रधानमंत्री रहे, जो चरण सिंह के बाद दूसरी सबसे छोटी अवधि थी। उनकी यह सरकार कांग्रेस पार्टी के समर्थन से बानी थी। इस दौरान उन्होंने रक्षा और गृह मंत्रालय का कार्यभार भी संभाला।
उनकी सरकार पूर्ण बजट पेश नहीं कर सकी क्योंकि कांग्रेस ने बजट निर्माण के दौरान समर्थन वापस ले लिया। परिणामस्वरूप, 21 जून को चन्द्रशेखर ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
मनमोहन सिंह चंद्रशेखर की सरकार में उनके आर्थिक सलाहकार थे। सुब्रमण्यम स्वामी ने मनमोहन सिंह और मोंटेक सिंह अहलूवालिया के साथ आर्थिक उदारीकरण पर दस्तावेजों की एक श्रृंखला तैयार की, लेकिन कांग्रेस द्वारा समर्थन वापस लेने के कारण ये दस्तावेज़ संसद में पारित नहीं हो सके।
चंद्रशेखर बॉन मेरो कैंसर से ग्रसित थे। स्वस्थ्य ख़राब के कारण उन्हें 3 मई, 2007 को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 8 जुलाई, 2007 को Delhi में 80 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली।
10 जुलाई को, यमुना नदी के तट पर जननायक स्थल, में पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। अगस्त में, उनकी अस्थियाँ ‘सिरुवानी नदी’ में विसर्जित कर दी गईं।