चौधरी चरण सिंह (Charan Singh) का जन्म 23 दिसंबर, 1902 में यूनाइटेड प्रोविंस (आज का उत्तर-प्रदेश) के बिजनौर जिले के नूरपुर शहर हुआ। वर्ष 1925 में उन्होंने एम०ए० तथा वर्ष 1926 में लॉ की डिग्री प्राप्त की। 1928 उन्होंने गाज़ियाबाद में वकालत शुरू किया। फ़रवरी, 1937 में वे 34 वर्ष की आयु में छपरौली(बाघपत) से MLA चुने गए।
नाम | चौधरी चरण सिंह |
पेशा | राजनीतिज्ञ |
पदनाम | भारत के 5वें प्रधानमंत्री, भारत के तीसरे उप-प्रधानमंत्री |
जन्म | 23 दिसंबर, 1902 |
निधन | 29 मई, 1987 |
समाधी स्थल | किसान घाट |
गाँधीजी से प्रभावित होकर वे राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। 1930 व 1942 में वे जेल भी गए। स्वंतत्रता पश्चात् वे 1951 में उत्तर-प्रदेश की गोविन्द वल्लभ पंत सरकार में काबीना मंत्री बने। वे नेहरू की सहकारिता निति के आलोचक थे। उनका मानना था की किसान की भूमि का मालिकाना हक़ किसान के पास ही होना चाहिए।
1967 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ने के बाद भारतीय क्रांति दल (BLD) की स्थापना की। वे दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। जब 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनी, तब मोरारजी सरकार में वे गृह मंत्री और बाद में वित्त मंत्री भी रहे।
मोरारजी देसाई के कार्यकाल में चरण सिंह “उप-प्रधानमंत्री” भी रहे। लेकिन, मोरारजी देसाई से मतभेद बढ़ने के कारण चरण सिंह ने जनता दल पार्टी छोड़ दी, जिससे मोरारजी देसाई की सरकार गिर गई।
28 जुलाई,1979 में कांग्रेस(आई) के सहयोग से देश के 5वें प्रधानमंत्री बने। इंदिरा गाँधी के समर्थन वापस लेने के कारण 20 अगस्त,1979 को चौधरी चरण सिंह ने प्रधानमंत्री के पद से त्यागपत्र दे दिया। इस प्रकार वे ऐसे प्रधानमंत्री बने जिन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए कभी संसद का सामना नहीं किया।
29 मई, 1987 को उनका निधन हुआ। चरण सिंह एक किसान नेता के रूप में प्रख्यात हुए। नयी दिल्ली में स्थित उनकी समाधी को किसान घाट का नाम दिया गया है। उनका जन्मदिन (23 दिसंबर) किसान-दिवस के तौर पर मनाया जाता है। उन्होंने कृषि-सुधार, ज़मींदारी, अर्थव्यवस्था, भूमि-सुधार पर पुस्तकें भी लिखीं।
9 फरवरी, 2024 को भारत सरकार द्वारा उन्हें ‘भारत रत्न’ प्रदान किया गया।
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