पंजाब के मुख्यमंत्री और भारत के सातवें राष्ट्रपति ज्ञानी ज़ैल सिंह (Giani Zail Singh) का जन्म पंजाब के फरीदकोट जिले में 05 मई, सन् 1916 को एक किसान परिवार में हुआ था। उनके बचपन का नाम जरनैल सिंह था। जरनैल सिंह के पिता खेती किया करते थे और उन्होंने भी खेती से जुड़े सभी कामों को सीखा और अपने पिता का हाथ बंटाया। लेकिन कौन जानता था कि एक दिन किसान का बेटा अपने राज्य का मुख्यमंत्री बनेगा और उसके बाद देश के सबसे गौरवमयी राष्ट्रपति के पद पर आसीन होगा। मगर अपनी मेहनत और दृढ़ इच्छा शक्ति से ज्ञानी ज़ैल सिंह ने ये साबित करके दिया।
नाम | ज्ञानी ज़ैल सिंह |
बचपन का नाम | जरनैल सिंह |
जन्म तारीख | 05 मई, सन् 1916 |
जन्म स्थान | गांव संधवा, फरीदकोट, पंजाब |
पिता का नाम | किशन सिंह |
माता का नाम | इंद्रा कौर |
पार्टी | कांग्रेस |
भारत के 7वें राष्ट्रपति | वर्ष 1982 से 1987 तक |
निधन | 25 दिसंबर, वर्ष 1994 |
एक किसान परिवार में जन्में ज्ञानी ज़ैल सिंह घर में सबसे छोटे थे। बहुत ही कम उम्र में उनकी माता का देहांत हो गया, जिसके बाद उनकी मौसी ने उनका पालन-पोषण किया। ज्ञानी ज़ैल सिंह एक किसान के बेटे थे और वह भी हल चलाना, फसल काटना, पशुओं को चराना आदि खेती से जुड़े कामों को बखूबी जानते थे। खेती के कामों के साथ-साथ ज्ञानी ज़ैल सिंह को पढ़ने का भी काफी शौक था। उन्हें उर्दू भाषा का भी ज्ञान था और पिता की राय से उन्होंने गुरुमुखी पढ़ने की शुरुआत की। मात्र पंद्रह साल की उम्र में ज्ञानी ज़ैल सिंह अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अकाली दल से जुड़ गए।
ज्ञानी ज़ैल सिंह को बचपन से ही पढ़ने व नई-नई चीजें सीखने का काफी शौक था। वह अपने पिता से तरह-तरह की ज़िद किया करते थे। उन्होंने अपने जीवन में गाना-बजाना भी सीखा। ज्ञानी ज़ैल सिंह को धार्मिक चीजों में भी बहुत रुचि थी और उन्होंने कई धार्मिक ग्रंथों को भी पढ़ा। ज्ञानी ज़ैल सिंह स्वयं सिख धर्म को मानने वाले व्यक्ति थे और उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ मुंह ज़बानी याद कर लिया था। गुरुवाणी का पाठ याद होने की वजह से वह वाचक बन गए और उन्हें ज्ञानी की उपाधि मिल गई।
ज्ञानी ज़ैल सिंह ब्रिटिश हुकूमत के कट्टर विरोधी थे। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ वर्ष 1938 में प्रजा मंडल नामक एक राजनीतिक दल का गठन किया और आंदोलन शुरू कर दिया। जिसके बाद ब्रिटिश सरकार और फरीदकोट रियासत के राजा ने ज्ञानी ज़ैल सिंह को पांच साल के लिए जेल में बद कर दिया। सज़ा के दौरान जेल के अंदर ही जरनैल सिंह ने अपना नाम बदलकर जैल सिंह रख लिया, जिसके बाद वह ज्ञानी ज़ैल सिंह के नाम से पहचाने जाने लगे।
अपना संपूर्ण जीवन देश की सेवा में समर्पित करने वाले ज्ञानी ज़ैल सिंह का निधन 25 दिसंबर, वर्ष 1994 को एक सड़क दुर्घटना में हो गया। ज्ञानी ज़ैल को उनकी विनम्रता, गरीबों के कल्याण के लिए उनकी प्रतिबद्धता और सामाजिक न्याय के प्रति उनकी गहरी सोच के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाता रहेगा।