गिरीजा देवी: ठुमरी की रानी
गिरीजा देवी भारतीय शास्त्रीय संगीत की एक महान गायिका थीं, जिन्हें विशेष रूप से ठुमरी गायन शैली के लिए जाना जाता है। उनका जन्म 8 मई 1929 को वाराणसी, उत्तर प्रदेश में हुआ था। वे बनारस घराने की प्रमुख गायिकाओं में से एक थीं और उन्होंने भारतीय संगीत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
गिरिजा देवी का जीवन परिचय – Girija Devi Biography
जन्म | 8 मई 1929 बनारस, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश राज |
निधन | 24 अक्टूबर 2017 (कलकत्ता) |
विधायें | हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत |
सक्रियता वर्ष | 1949–2017 |
प्रारंभिक जीवन और संगीत शिक्षा
गिरीजा देवी ने संगीत की शिक्षा अपने पिता से प्रारंभ की, जो स्वयं संगीतप्रेमी थे। आगे चलकर उन्होंने पंडित सरयू प्रसाद मिश्रा से ठुमरी, दादरा, कजरी और होरी जैसी उपशास्त्रीय शैलियों में गहराई से प्रशिक्षण लिया। उन्होंने पारंपरिक बंदिशों के साथ-साथ लोकसंगीत में भी अपनी गहरी पकड़ बनाई।
संगीत यात्रा
गिरीजा देवी ने अपने करियर की शुरुआत 1949 में एक सार्वजनिक प्रस्तुति के साथ की। इसके बाद उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो और विभिन्न संगीत सम्मेलनों में अपनी गायकी का लोहा मनवाया। उनकी गायन शैली में भावनात्मक अभिव्यक्ति, सौंदर्य और परंपरा का अद्भुत संतुलन देखने को मिलता है।
उपलब्धियाँ
गिरीजा देवी को भारतीय संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाज़ा गया, जिनमें प्रमुख हैं:
- पद्म श्री (1972)
- पद्म भूषण (1989)
- पद्म विभूषण (2016)
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1977)
योगदान और विरासत
गिरीजा देवी ने ठुमरी को मंच पर सम्मानजनक स्थान दिलाने का कार्य किया। वह केवल एक गायिका ही नहीं, बल्कि एक शिक्षिका भी थीं, जिन्होंने बीएचयू (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) और अन्य संस्थानों में अनेक शिष्यों को प्रशिक्षण दिया।
गिरीजा देवी का निधन 24 अक्टूबर 2017 को हुआ, लेकिन उनका संगीत आज भी संगीतप्रेमियों के बीच जीवित है। वे हमेशा भारतीय उपशास्त्रीय संगीत की एक अमिट प्रतीक बनी रहेंगी।