गोविन्द बल्लभ पन्त – Govind Ballabh Pant

पंडित गोविन्द बल्लभ पंत प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी और वरिष्ठ भारतीय राजनेता थे। उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री रहे हो या भारत के गृह मंत्री सभी पदों पर अपने दृढ़ व्यक्तित्व की छाप छोड़ दी। इनके कार्य की सराहना करते हुए भारत सरकार ने इन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया। गृहमन्त्री के रूप में उनका मुख्य योगदान भारत को भाषा के अनुसार राज्यों में विभक्त करना तथा हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करना था। 

गोविन्द बल्लभ पंत जीवनी - Govind Ballabh Pant Biography

नाम गोविन्द बल्लभ पन्त
जन्म 10 सितम्बर 1887
जन्म स्थान ग्राम खूण्ट, जिला अल्मोड़ा, उत्तराखंड 
पिता मनोरथ पन्त
माता गोविन्दी बाई
पेशा राजनीतिज्ञ 
पदस्थ गृहमन्त्री (भारत सरकार), मुख्य्मंत्री (उत्तर प्रदेश)
राजनीतिक दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 
सम्मान भारत रत्न 
मृत्यु 7 मार्च 1961, नई दिल्ली 

प्रारंभिक जीवन - Early life

गोविन्द बल्लभ पंत का जन्म बेशक पहाड़ियों के बीच हुआ हो लेकिन उनके अंदर मराठी मातृत्व के गुण भी विद्यमान थे। इनकी माँ का नाम गोविन्दी बाई था। शायद इन्हीं के नाम पर इनका गोविन्द पड़ा हो। जब ये 10 वर्ष के थे तभी इनके पिता का निधन हो गया। इसी वजह से इनका पालन पोषण इनके नाना की देखरेख में हुआ।     

स्वतंत्रता संग्राम में हुए शामिल - Joined the freedom struggle 

उस समय के एक बेहद काबिल वकील के रूप में जाने जाने वाले पंत को कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने 1920 के दशक के मध्य में काकोरी मामले में शामिल रामप्रसाद बिस्मिल , अशफाकउल्ला खान और अन्य क्रांतिकारियों का प्रतिनिधित्व करने के लिए नियुक्त किया था। जी बी पंत ने 1928 में साइमन कमीशन के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया। जवाहरलाल नेहरू ने अपनी आत्मकथा में उल्लेख किया है कि कैसे पंत विरोध प्रदर्शनों के दौरान उनके साथ खड़े रहे और उनके बड़े आकार ने उन्हें पुलिस के लिए आसान लक्ष्य बना दिया। उन विरोध प्रदर्शनों में उन्हें गंभीर चोटें आईं। कमर में गंभीर चोट लगने से वे जीवन भर अपनी कमर सीधी नहीं कर पाए। 

अंग्रेजी जज का किया विरोध - Protested against the english judge

 एक बार एक अंग्रेजी जज की अदालत में उन्होंने जज की बातों का असमर्थन किया। परिणामस्वरूप उस अंग्रेजी जज ने उन्हें अपने कोर्ट रूम में कदम न रखने की धमकी दी। जवाब में पंत ने कहा की आज के बाद से में आपकी कोर्ट में कभी नहीं आऊंगा। 

मुख्यमंत्री से लेकर गृहमंत्री तक - From Chief Minister to Home Minister 

पंत ने 1937 से 1939 तक संयुक्त प्रांत के मुख्यमंत्री का पद संभाला। पंत ने 1955 से 1961 तक केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में कार्य किया। 10 जनवरी 1955 को नई दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू द्वारा पंत को केंद्रीय मंत्रिमंडल में गृह मंत्री नियुक्त किया गया था। गृह मंत्री के रूप में उनकी मुख्य उपलब्धि भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन करना था। वे हिंदी को केंद्र सरकार और कुछ राज्यों की आधिकारिक भाषा के रूप में स्थापित करने के लिए भी जिम्मेदार थे।

सम्मान - Respect 

मृत्यु - Death 

1960 में दिल का दौरा पड़ने से उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट होती रही। 1961 में गृहमंत्री रहते हुए उनकी मृत्यु हो गयी। 

संस्थाएं और समारक - Institutions and monuments    

गोविंद बल्लभ पंत सागर उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में एक कृत्रिम झील है। 

गोविंद बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान, इलाहाबाद

गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर

गोविंद बल्लभ पंत इंजीनियरिंग कॉलेज, पौरी गढ़वाल, उत्तराखंड

गोविंद बल्लभ पंत इंजीनियरिंग कॉलेज, दिल्ली