हरिवंश राय बच्चन – Harivansh Rai Bachchan

हरिवंश राय बच्चन harivansh ray bacchan

हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि, मशहूर अभिनेता अमिताभ बच्चन के पिता, हालवादी काव्यधारा के प्रमुख कवि हरिवंश राय बच्चन, ‘मधुशाला’ के लिए मशहूर समादृत कवि-लेखक और अनुवादक। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित। 

जीवन एवं शिक्षा – Life and Education

हरिवंशराय बच्चन का जन्म इलहबाद के एक संभ्रांत कायस्थ परिवार में 27 नवंबर 1907 को हुआ। आरंभिक शिक्षा के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अँग्रेज़ी साहित्य में एम.ए. की परीक्षा पास की और वहीं अध्यापन करने लगे। 

1952 में विलियम बटलर येट्स के साहित्य पर शोध के लिए कैंब्रिज विश्वविद्यालय गए। स्वदेश वापसी पर आकाशवाणी में प्रोड्यूसर बने, फिर 1955 में विदेश मंत्रालय में ‘हिंदी विशेषाधिकारी’ के रूप में नियुक्त किए गए। 1966 में राष्ट्रपति द्वारा उन्हें राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया गया।

1926 में 19 वर्ष की उम्र में उनका विवाह श्यामा बच्चन से हुआ जो उस समय 14 वर्ष की थीं। सन 1936 में टीबी के कारण श्यामा की मृत्यु हो गई। पाँच साल बाद 1941 में बच्चन ने एक पंजाबन तेजी सूरी से विवाह किया जो रंगमंच तथा गायन से जुड़ी हुई थीं। इसी समय उन्होंने ‘नीड़ का निर्माण फिर’ जैसी कविताओं की रचना की। उनके पुत्र अमिताभ बच्चन एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं।

हरिवंश राय बच्चन जीवन परिचय – Harivansh Rai Bachchan Biography

जन्म27 नवंबर 1907
मृत्यु18 जनवरी 2003
मातासरस्वती देवी
पिताप्रताप नारायण श्रीवास्तव
पेशाकवि, लेखक, प्राध्यापक
भाषाअवधी, हिंदी 
खिताबपद्म भूषण (1976), साहित्य आदमी पुरस्कार(1969)
बच्चेअमिताभ बच्चन, अभिजीत बच्चन
रिश्तेदारबच्चन परिवार

साहित्यिक परिचय

हरिवंश राय बच्चन का प्रथम काव्य-संग्रह ‘तेरा हार’ 1932 में प्रकाशित हुआ। 1935 में प्रकाशित उनका दूसरा संग्रह ‘मधुशाला’ उनकी स्थायी लोकप्रियता और प्रसिद्धि का कारण बना। बच्चन मधुशाला का पर्याय ही बन गए। इन दोनों काव्य-संग्रहों के अतिरिक्त उनके दो दर्जन से अधिक अन्य संग्रह प्रकाशित हुए। कविताओं के अलवाव उनकी आत्मकथा और अनुवाद कार्य भी उनके यश का कारण है। 

हरिवंश राय बच्चन को हिंदी का उमर खय्याम और जन कवि कहा गया। 

बच्चन जी की पुस्तक ‘बच्चन के लोकप्रिय गीत’ से उनके एक गीत का अंश

“बुद्धि बिचारी गुमसुम, हारी

साफ़ बोलता पर चित मेरा—

मेरे पाप तुम्हारी करुणा में कोई संबंध कहीं है।

तुमको छोड़ कहीं जाने को आज हृदय स्वच्छंद नहीं है।”

प्रमुख कृतियाँ

काव्यसंग्रह: तेरा हार (1929), मधुशाला (1935), मधुबाला (1936), मधुकलश (1937), आत्म-परिचय (1937), निशा निमंत्रण (1938), एकांत संगीत (1939), आकुल अंतर (1943), सतरंगिनी (1945), हलाहल (1946), बंगाल का काल (1946), खादी के फूल (1948), सूत की माला (1948), मिलन यामिनी (1950), प्रणय पत्रिका (1955), धार के इधर-उधर (1957), आरती और अंगारे (1958), बुद्ध और नाचघर (1958), त्रिभंगिमा (1961), चार खेमे चौंसठ खूंटे (1962), दो चट्टानें (1965), बहुत दिन बीते (1967), कटती प्रतिमाओं की आवाज़ (1968), उभरते प्रतिमानों के रूप (1969), जाल समेटा (1973), नई से नई-पुरानी से पुरानी (1985)

अनुवाद: खैयाम की मधुशाला (1938), मैकबेथ (1957), जनगीता (1958), उमर खैयाम की रूबाइयाँ (1959), ओथेलो (1959), नेहरू: राजनैतिक जीवन चरित (1961), चौंसठ रूसी कविताएँ (1964), मरकत द्वीप का स्वर (येट्स की कविताएँ,1965), नागर गीता (1966), हैमलेट (1969), भाषा अपनी भाव पराए (1970), किंग लियर (1972)

उनकी समस्त कृतियाँ ‘बच्चन रचनावली’ के नौ खंडों में प्रकाशित हैं। उनकी ‘दो चट्टानें’ को साहित्य ‘अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया और उनकी आत्मकथा ‘क्या भूलूँ क्या याद करूँ’ को सरस्वती सम्मान से भी नवाज़ा गया।

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