जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा एक भारतीय उद्योगपति और टाटा समूह के अध्यक्ष थे। उनका जन्म 29 जुलाई, 1904 को हुआ था। वे फ्रांस में जन्मे थे।
जेआरडी टाटा के पिता ‘रतनजी दादाभाई टाटा’ थे। उनकी माँ का नाम सुज़ैन "सूनी" ब्रिएरे था, जो एक फ्रेंच महिला थीं। चूँकि उनकी माँ फ़्रांसीसी थीं, इसलिए उनका अधिकांश बचपन फ़्रांस में बीता। फ्रेंच उनकी पहली भाषा थी।
जेआरडी टाटा की शिक्षा लंदन, जापान, फ्रांस और मुंबई में हुई। फ्रांस का नागरिक होने के कारण जेआरडी टाटा को कम से कम एक साल के लिए फ्रांसीसी सेना में भर्ती होना पड़ा। सन् 1929 में, जेआरडी टाटा ने अपनी फ्रांसीसी नागरिकता त्याग दी और भारतीय नागरिक बन गए। बाद में वह टाटा परिवार के व्यवसाय में शामिल हुए। 1930 में, जेआरडी टाटा ने अपनी वकील थेल्मा विकाजी से शादी की, जिसे उन्होंने बॉम्बे की सड़क पर बहुत तेज़ कार चलाने के आरोप में अपना बचाव करने के लिए नियुक्त किया था।
वर्ष | घटनाक्रम |
1904 | 29 जुलाई को पेरिस में जे.आर.डी. टाटा का जन्म |
1925 | एक अवैतनिक प्रशिक्षु के रूप में टाटा एंड संस में शामिल हुए |
1928 | 24 साल की उम्र में उन्हें टाटा एंड संस का अध्यक्ष चुना गया |
1929 | 10 फरवरी, 1929 को उन्हें भारत में जारी किया गया पहला पायलट लाइसेंस प्राप्त हुआ |
1932 | उन्होंने टाटा एयरलाइंस शुरू की |
1936 | टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (TISS) की स्थापना |
1941 | ‘टाटा मेमोरियल सेंटर फ़ॉर कैंसर रिसर्च एंड ट्रीटमेंट’ की स्थापना हुई |
1945 | टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) की स्थापना |
1945 | टाटा ने टेल्को प्रारंभ किया |
1948 | जेआरडी टाटा ने भारत की पहली अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन के रूप में एयर इंडिया इंटरनेशनल का शुभारंभ किया |
1953 | भारत सरकार ने उन्हें एयर इंडिया का अध्यक्ष और इंडियन एयरलाइंस के बोर्ड का निर्देशक नियुक्त किया |
1954 | फ़्राँस ने उन्हें अपने सर्वोच्च नागरकिता पुरस्कार ‘लीजन ऑफ द ऑनर’ से अलंकृत किया |
1955 | पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया |
1968 | टाटा कंप्यूटर सेंटर (अब टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज) की स्थापना हुई |
1979 | टाटा स्टील की स्थापना की |
1988 | 26 जुलाई को उन्होंने टाटा समूह के अध्यक्ष का पद छोड़ दिया |
1992 | देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया |
1992 | संयुक्त राष्ट्र संघ ने भारत में जनसंख्या नियंत्रण में अहम योगदान देने के लिए उन्हें ‘यूनाइटेड नेशन पापुलेशन आवार्ड’ से सम्मानित किया |
1993 | 29 नवम्बर को जिनेवा में निधन |