आधुनिक भारत के प्रसिद्ध चिन्तक एवं समाजविज्ञानी डॉ राधा कमल मुखर्जी लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र एवं समाजशास्त्र के प्राध्यापक तथा उपकुलपति रहे थे। उन्होने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। प्रो राधा कमल मुखर्जी ने ही लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति रहते हुए पुरे उत्तर प्रदेश में समाजशास्त्र के अध्ययन की शुरुआत की। इसलिए उन्हें उत्तर प्रदेश में समाजशास्त्र के प्रणेता के रूप में भी जाना जाता है।
नाम | राधा कमल मुखर्जी |
जन्म | 7 दिसंबर 1889 |
जन्म स्थान | बहरामपुर, मुर्शिदाबाद, पश्चिम बंगाल, भारत |
शिक्षा | एमए, पीएचडी |
पेशा | प्रोफेसर, लेखक, जे.के इंस्टीटयूट के निदेशक |
पद | उपकुलपति (लखनऊ विश्वविद्यालय), जे.के इंस्टीटयूट के निदेशक |
महत्त्वपूर्ण उपलब्धि | उत्तर प्रदेश में समाजशास्त्र के प्रणेता |
पुरस्कार | पद्म भूषण (1962) |
मृत्यु | 24 अगस्त 1968 |
राधाकमल मुखर्जी लखनऊ विश्वविद्यालय में उनके सहयोगी डीपी मुखर्जी और बॉम्बे विश्वविद्यालय के जीएस घुरिये के साथ भारत में समाजशास्त्र के महान अग्रदूत माने जाते हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय समाजशास्त्र और सामाजिक नृविज्ञान का एक प्रमुख केंद्र था। राधाकमल मुखर्जी, डीपी मुखर्जी और डीएन मजूमदार की त्रिमूर्ति के तहत लखनऊ जल्द ही सामाजिक विज्ञान अध्ययन के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरा और 1960 के दशक के मध्य तक ऐसा ही रहा।
शिक्षक बनने का लक्ष्य बनाकर अर्थशास्त्र एवं समाजशास्त्र विषय का चयन करके कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। उसी वर्ष कलकत्ता विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र एवं समाजशास्त्र विषय का स्नातकोत्तर स्तर का संयुक्त पाठ्यक्रम प्रारम्भ किया गया था। मुकर्जी का स्नातकोत्तर स्तर पर अर्थशास्त्र एवं समाजशास्त्र का चयन अनायास ही नहीं था अपितु उन्हीं के शब्दों में ‘‘कलकत्ता की बस्तियों में दुःख-दारिद्रय, गंदगी और अधःपतन के साथ जो मेरा आमने-सामने परिचय हुआ उसने मेरी भविष्य रूचि को अर्थशास्त्र एवं समाजशास्त्र की ओर आकर्षित किया।’’ देश एवं राष्ट्र के लिए अध्ययन के विचार से प्रभावित होकर उन्होंने स्नातकोत्तर स्तर पर अर्थशास्त्र विषय का चयन किया। उनका दृढ़ विश्वास था कि अर्थशास्त्र ही भारतीय दरिद्रता, शोषण एवं आधीनता जैसे गम्भीर मुद्दों के वैज्ञानिक एवं उचित उत्तर दे सकता है।
1921 में, वे लखनऊ विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख के रूप में उसी दिन शामिल हुए, जिस दिन विश्वविद्यालय अस्तित्व में आया था। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय में शोध और शिक्षण दोनों में अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र और नृविज्ञान में एक एकीकृत दृष्टिकोण पेश किया।
डॉ राधा कमल मुखर्जी ने दी ‘Social Structure of values’ तथा ‘Dimension of Values’ नामक पुस्तकों में सामाजिक मूल्यों से संबंधित विचारों को प्रस्तुत किया है। राधा कमल मुखर्जी के देश विदेश में प्रमुखता का कारण उनके द्वारा प्रतिपादित सामाजिक मूल्यों का सिद्धांत है। इस सिद्धांत में हमें पूर्व एवं पश्चिम के विचारधाराओं का एक सुंदर समागम देखने को मिलता है। ‘Social Structure of Values’ नामक पुस्तक में डॉ राधा कमल मुखर्जी ने मूल्यों के समाजशास्त्री सिद्धांत का प्रतिपादन किया है। इसके अंतगर्त उन्होंने मूल्यों की उत्पत्ति एवं उद्विकास, मूल्यों के मनोवैज्ञानिक नियमों तथा मूल्यों की सुरक्षा आदि पर अपने विचार व्यक्त किये हैं।
मुखर्जी ने कई मुद्दों पर करीब 53 किताबें लिखीं। उनके लेखन की मूल प्रकृति सामाजिक विज्ञानों का एकीकरण है। वे कई क्षेत्रों में पथ-प्रदर्शक रहे हैं। उनके कई छात्र और सहयोगी अपने लेखन में इस दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।
राधाकमल मुखर्जी का देहावसान ‘ललित कला अकादमी’ परिसर में ही सामान्य सभा की बैठक की अध्यक्षता करते हुए 24 अगस्त, 1968 में हुआ।