रामास्वामी वेंकटरमण (Ramaswamy Venkataraman) (4 दिसंबर 1910 - 27 जनवरी 2009) 1984 में, उन्हें भारत के सातवें उपराष्ट्रपति के रूप में चुना गया और 1987 में, वह भारत के आठवें राष्ट्रपति बने और 1987 से 1992 तक सेवा की। उनका जीवन भारतीय राजनीति और समाज के प्रति उनकी सेवाओं का एक प्रेरणादायक अध्याय है। उन्होंने न केवल एक प्रभावी नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम में भी सक्रिय भूमिका निभाई।
आर वेंकटरमन का जन्म तमिलनाडु के तंजावुर जिले में हुआ। वह एक साधारण परिवार से थे, लेकिन शिक्षा के प्रति उनका गहरा झुकाव था। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और कानून में पढ़ाई की। इसके बाद वे इंग्लैंड के लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स गए, जहाँ उन्होंने बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त की।
जन्म | 4 दिसंबर 1910 |
जन्म स्थान | तमिलनाडु |
व्यवसाय | बैरिस्टर, भारत के आठवें राष्ट्रपति |
पत्नी | जानकी वेंकटरमण |
निधन | 27 जनवरी 2009 |
आर वेंकटरमन ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में उनकी सक्रिय भागीदारी के कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा। उनके इस संघर्ष ने उनके अंदर देशसेवा का जुनून और बढ़ा दिया।
स्वतंत्रता के बाद, उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं। वे तमिलनाडु विधानसभा के सदस्य बने और फिर केंद्र सरकार में विभिन्न मंत्रालयों जैसे वित्त, रक्षा और उद्योग में मंत्री रहे। उनकी गहरी सोच और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में उच्च स्थान दिलाया।
रामास्वामी वेंकटरमण 1987 में भारत के राष्ट्रपति बने। उनके कार्यकाल में उन्होंने संवैधानिक मूल्यों की रक्षा और लोकतंत्र को मजबूत करने पर जोर दिया। उनकी नेतृत्व शैली शांत और संतुलित थी, जिससे उन्होंने हर राजनीतिक दल के साथ अच्छे संबंध बनाए रखे।
वेंकटरमण एक विद्वान व्यक्ति थे, जिन्हें भारतीय संस्कृति, कला और साहित्य का गहरा ज्ञान था। उन्होंने कई किताबें भी लिखीं और सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहे। उनकी सादगी और ईमानदारी आज भी राजनीति में एक मिसाल के रूप में देखी जाती है।
27 जनवरी 2009 को 98 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ। वे एक ऐसे नेता के रूप में याद किए जाते हैं, जिन्होंने अपने जीवन को पूरी तरह से देश की सेवा के लिए समर्पित कर दिया।