राइफलमैन (वर्तमान में सूबेदार मेजर) संजय कुमार एक भारतीय सिपाही हैं और भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र के प्राप्तकर्ता हैं। उन्हें यह सम्मान कारगिल के युद्ध के दौरान प्राप्त हुआ था।
संजय कुमार का जन्म 3 मार्च, 1976 को विलासपुर, हिमाचल प्रदेश के एक गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम दुर्गा राम व माता का नाम भाग देवी है। संजय बचपन से ही फ़ौज में जाना चाहते थे। दरअसल, संजय कुमार के चाचा फौज में थे और उन्होंने सन् 1965 में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी थी। संजय कुमार के लिए उनके चाचा उनके फ़ौज में जाने भर्ती होने लिए प्रोत्साहन का कारण थे। वे मेट्रिक की परीक्षा पास करके सेना में भर्ती हुए। हालाँकि, सेना में भर्ती होने से पहले वह तीन बार अस्वीकृत भी किये जा चुके थे। सेना में शामिल होने से पहले उन्होंने दिल्ली में टैक्सी चालक का काम भी किया है। वर्ष 1996 में भारतीय सेना में शामिल हुए। संजय कुमार ने 4 जुलाई, 1999 को 13वीं बटालियन, जम्मू और कश्मीर राइफल्स में सम्मिलित किया गया।
पूरा नाम | राइफ़लमैन संजय कुमार |
जन्म | 3 मार्च, 1976 |
जन्म भूमि | विलासपुर, हिमाचल प्रदेश |
पिता का नाम | दुर्गा राम |
माता का नाम | भाग देवी |
सेना | भारतीय थल सेना |
रैंक | नायब सूबेदार |
यूनिट | 13 जम्मू एण्ड कश्मीर राइफल्स |
युद्ध | कारगिल युद्ध (1999) |
सम्मान | परमवीर चक्र |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | परमवीर चक्र सम्मान अवार्डी |
कारगिल युद्ध के दौरान वे अपनी बटालियन के साथ युद्ध में सम्मिलित हुए। उनकी पल्टन को मुश्कोह घाटी में पॉइंट 4875 के फ़्लैट टॉप क्षेत्र पर कब्ज़ा करने का कार्य सौंपा गया, जिसमे वे स्वेच्छा से हमलावर कॉलम के अग्रणी स्काउट बने। इस लक्ष्य को उनकी बटालियन ने प्राप्त किया और संजय कुमार को उनकी वीरता के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
राइफलमैन संजय कुमार ने 4 जुलाई, 1999 को मुश्कोह घाटी में पॉइंट 4875 के फ़्लैट टॉप क्षेत्र पर कब्ज़ा करने के लिए स्वेच्छा से हमलावर कॉलम के अग्रणी स्काउट बनने के लिए काम किया। हमले के दौरान जब एक संगर से दुश्मन की स्वचालित गोलीबारी के कारण कड़ा प्रतिरोध आया और कॉलम को रोक दिया गया, राइफलमैन संजय कुमार ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए और अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की परवाह किए बिना, दुश्मन पर हमला कर दिया। इसके बाद हुई आमने-सामने की लड़ाई में उन्होंने तीन घुसपैठियों को मार गिराया और खुद गंभीर रूप से घायल हो गए। अपनी चोटों के बावजूद, उन्होंने दूसरे बंकर पर आक्रमण किया। पूरी तरह से आश्चर्यचकित होकर, दुश्मन एक यूनिवर्सल मशीन गन छोड़कर भागने लगा।
राइफलमैन संजय कुमार ने यूएमजी उठाया और भाग रहे दुश्मन को मार गिराया। अत्यधिक रक्तस्राव के बावजूद, उन्होंने युध्क्षेत्र से बाहर निकलने से इनकार कर दिया। उनकी ओर से की गई बहादुरी भरी कार्रवाई ने उनके साथियों को प्रेरित किया और उन्होंने खतरनाक इलाके पर ध्यान नहीं दिया और दुश्मन पर हमला कर दिया और फ्लैट टॉप क्षेत्र को दुश्मन के हाथों से छीन लिया।
राइफलमैन संजय कुमार ने दुश्मन के सामने अत्यंत विशिष्ट वीरता, अदम्य साहस और असाधारण उच्च कोटि की कर्तव्यपरायणता का प्रदर्शन किया।