शेखर कपूर एक बेहद प्रशंसित भारतीय फिल्म निर्देशक, पटकथा लेखक और निर्माता हैं। उन्हें उनकी फिल्मों मासूम (1983), मिस्टर इंडिया (1987), बैंडिट क्वीन (1994), ओमकारा (2006), पहेली (2005) और देवदास (2002) के लिए जाना जाता है। कपूर एक बहुमुखी निर्देशक हैं जिन्होंने नाटक, विज्ञान कथा और जीवनी सहित विभिन्न शैलियों में काम किया है। वह भारतीय सिनेमा के सबसे सफल और सम्मानित निर्देशकों में से एक हैं।
अल्ट्रान्यूज़ टीवी के ‘व्यक्तित्व’ सेक्शन में आपका स्वागत है। इस सेगमेंट में हम आपके लिए लेकर आ रहे हैं उन विशेष व्यक्तियों की जीवनी / बायोग्राफी, जिन्होंने देश-दुनिया के मानव समाज के सामाजिक संरचना को किसी न किसी रूप में प्रभावित किया है।
Shekhar Kapur | Shekhar Kapur in Hindi | Shekhar Kapur Biography | Shekhar Kapur Biography in Hindi
शिक्षा - नई दिल्ली का मॉडर्न स्कूल, सेंट स्टीफंस कॉलेज में अर्थशास्त्र, ICAEW में चार्टर्ड अकाउंटेंट
व्यवसाय - फ़िल्म निर्माता, अभिनेता
एफटीआईआई के अध्यक्ष - 30 सितंबर, 2020 - 1 सितंबर, 2023
पुरस्कार - पद्म श्री, 63वें कान्स फिल्म फेस्टिवल में जूरी सदस्य, बाफ्टा पुरस्कार, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, नेशनल बोर्ड ऑफ रिव्यू अवार्ड, फिल्मफेयर पुरस्कार, गोल्डन ग्लोब पुरस्कार के लिए नामांकन।
शेखर कपूर का सिनेमा में योगदान
कपूर ने अपने निर्देशन की शुरुआत शबाना आज़मी और नसीरुद्दीन शाह अभिनीत एक ड्रामा फिल्म मासूम (1983) से की। यह फिल्म आलोचनात्मक और व्यावसायिक रूप से सफल रही और इसने सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार सहित कई पुरस्कार जीते।
कपूर की अगली फिल्म मिस्टर इंडिया (1987) थी, जो एक साइंस फिक्शन फिल्म थी, जिसमें अनिल कपूर, श्रीदेवी और अमरीश पुरी ने अभिनय किया था। यह फिल्म ब्लॉकबस्टर हिट रही और इसे सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ भारतीय फिल्मों में से एक माना जाता है।
1994 में, कपूर ने बैंडिट क्वीन का निर्देशन किया, जो एक बैंडिट क्वीन फूलन देवी की जीवनी पर आधारित फिल्म थी, जो बाद में संसद के लिए चुनी गई थी। यह फिल्म आलोचनात्मक और व्यावसायिक रूप से सफल रही और इसने सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार सहित कई पुरस्कार जीते।
कपूर की बाद की फिल्में, ओमकारा (2006), पहेली (2005), और देवदास (2002) भी आलोचनात्मक और व्यावसायिक रूप से सफल रहीं।
कपूर भारतीय सिनेमा में एक अत्यधिक सम्मानित व्यक्ति हैं, और उनकी फिल्मों को उनकी मजबूत कहानी, दृश्य शैली और सामाजिक टिप्पणी के लिए सराहा गया है। भारतीय सिनेमा पर उनका बड़ा प्रभाव है और उनकी फिल्मों ने फिल्म निर्माताओं की एक पीढ़ी को प्रेरित किया है।