विंग कमांडर राकेश शर्मा भारत के प्रथम अन्तरिक्ष यात्री हैं। वे वायुसेना में अधिकारी रह चुके हैं। जिस समय उन्होंने यह अंतरिक्ष की उड़ान भरी थी, उस समय वो स्कवाड्रन लीडर के पद पर तैनात थे।
विंग कमांडर राकेश शर्मा का जीवन परिचय | |
जन्म | 13 जनवरी, 1949 |
आयु | 73 वर्ष |
शिक्षा |
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पेशा |
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पुरस्कार |
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पत्नी | मधु |
बच्चे | कपिल और कृतिका |
राकेश शर्मा का जन्म 13 जनवरी, 1949 को पटियाला, पंजाब में हुआ था। उनकी शिक्षा हैदराबाद में संपन्न हुई। वह जुलाई, 1966 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में दाखिल हुए। वर्ष 1970 में राकेश शर्मा मात्र 21 की आयु में एक फाइटर पायलट के रूप में भारतीय वायु सेना में नियुक्त हुए।
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान राकेश शर्मा 23 साल के थे। उन्हें भारतीय वायु सेना में सेवा देते हुए दो वर्ष बीत चुके थे। इस युद्ध में राकेश शर्मा ने अद्भुत वीरता का परिचय दिया। उन्होंने 1971 के इस बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में अपने लड़ाकू विमान मिग -21 के साथ 21 बार उड़ान भरी।
1982 में उन्हें संयुक्त सोवियत-भारतीय अंतरिक्ष उड़ान के लिए एक अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना गया था। 1984 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और सोवियत संघ के इंटरकस्मिक कार्यक्रम के एक संयुक्त अंतरिक्ष अभियान के अंतर्गत राकेश शर्मा आठ दिन तक अंतरिक्ष में रहे। वे उस समय भारतीय वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर और विमानचालक थे। उस समय उनकी आयु 35 वर्ष की थी। अंतरिक्ष में जाने वाले वे भारत के पहले व दुनिया के 128वें इंसान थे।
"सारे जहाँ से अच्छा"
उनकी अन्तरिक्ष उड़ान के दौरान भारत की तत्कालिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राकेश शर्मा से पूछा कि अन्तरिक्ष से भारत कैसा दिखता है ? राकेश शर्मा ने उत्तर दिया- "सारे जहाँ से अच्छा"।
अंतरिक्ष से लौटने के पश्चात् राकेश शर्मा ने वायुसेना में ही अपनी सेवा जारी रखी। 2001 में अपनी सेवानिवृत्ति के बाद, वह अपनी पत्नी के साथ तमिलनाडु के कुन्नूर में बस गए। वहां वे अपने परिवार के साथ अपना जीवन शांतिपूर्ण व्यतीत कर रहे हैं।