कर्नाटक विधानसभा चुनावों में चुनावी प्रक्रिया के तहत 10 मई को मतदान किया गया था। चुनाव आयोग से प्राप्त हुए जानकारी के अनुसार 72.67 प्रतिशत वोट पड़े हैं। मतदान का यह प्रतिशत 2018 में पड़े वोटों से काफी ज़्यादा है। 2018 के विधानसभा चुनावों में 72.44 प्रतिशत मतदान हुआ था। एग्जिट पोल के मुताबिक़ इन चुनावों में कांग्रेस बढ़त हासिल करती हुई नज़र आ रही हैं। लेकिन कुछ का कहना है कि इन चुनावों में भाजपा का परचम भी लहरा सकता है। यानी भाजपा अपने दम पर बहुमत हासिल कर सकती है।
कर्नाटक के चिक्काबल्लापुर जिले में सबसे अधिक 85.83 प्रतिशत मतदान हुआ। इसके बाद सबसे ज़्यादा मतदान रामनगर में 84.98 प्रतिशत के साथ दर्ज किया गया है। विधानसभा की 224 सीटों के लिए बुधवार को हुए मतदान की गिनती 13 मई को होने वाली है। चुनाव आयोग ने कहा है, "कर्नाटक के सभी 224 विधानसभा क्षेत्रों में काफी हद तक शांतिपूर्ण मतदान हुआ है और 58,545 मतदान केंद्रों में से किसी में भी पुनर्मतदान के संकेत नहीं मिले हैं।"
कर्नाटक में भाजपा मोदी के नेतृत्व में 38 साल पुरानी रिवाज़ को तोड़ना चाहती हैं। वहीं कांग्रेस को मनोबल बढ़ाने वाली जीत का बेसब्री से इंतज़ार है, जिससे वह खुद को 2024 के लोकसभा चुनावों में मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में स्थापित कर सके। इन चुनावों में यह देखना भी काफी दिलचस्प होने वाला है कि त्रिशंकु जनादेश की स्थिति में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के नेतृत्व वाले जनता दल सरकार बनाने की चाभी पकड़कर 'किंगमेकर' या 'किंग' के रूप में उभर पाती है या नहीं। वहीं आम आदमी पार्टी ने भी इन चुनावों में अपनी जगह बनाने के लिए अपने उम्मीदवारों को चुनावी रण में उतारा है।
चुनाव आयोग ने लोगों को अपने मतदान अधिकार का प्रयोग करने के लिए मतदान केंद्र तक आने के लिए आकर्षित करने की काफी कोशिश की है। चुनाव आयोग ने थीम आधारित और एथनिक बेसड मतदान बूथस का उपयोग किया है। महिलाओं के लिए विशेष रूप से पिंक बूथ बनाए गए हैं।