नारी हिंसा पर राजनीति क्यों?

नारी का सम्मान करने वाले देश में महिलाओं के साथ जैसी घटनाएं अभी कई राज्यों में घटी है वो कहीं न कहीं देश की नारी सम्मान की छवि को धूमिल करती हैं। ऐसी घटनाओं पर जहाँ पूरे देश का जनमानस गमगीन व चिंतित है, वहीँ भारत के राजनीतिक दल इसपर राजनीति कर रहे हैं।

देश का विपक्ष मणिपुर में महिलाओं से हुई निंदनीय घटना पर लगातार सरकार को घेर रहा है। पूरा विपक्ष बार-बार, मणिपुर-मणिपुर चिल्ला रहा है परन्तु एक शब्द बंगाल में महिला के साथ अपमानजनक घटना पर नहीं बोल रहा। जिस प्रकार मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके आपत्तिजनक स्थिति में सार्वजनिक घुमाया था, ठीक उसी तरह बंगाल में भी एक महिला के साथ ऐसा किया गया। राजस्थान तथा बिहार में भी ऐसी घटना सुनने में आई है। परन्तु भारत के ज्यादातर राजनीतिक दल व उनके नेताओं को बस मणिपुर की घटना पर ही दुख हो रहा है। बंगाल सहित अन्य राज्यों में हुई घटनाओं का जिक्र भी विपक्ष करने को तैयार नही है, उसका कारण है मणिपुर में भाजपा सरकार होना तथा बंगाल सहित अन्य महिला उत्पीड़न वाले राज्यों में विपक्षी दलों का शासन होना।

भारत का मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस व उसके नेताओं ने मणिपुर के मुख्यमंत्री को हटाने की बात कही है, परन्तु बंगाल पर कुछ नही बोला, दिल्ली महिला आयोग की प्रमुख स्वाति मालीवाल मणिपुर सहायता के लिए पहुँच गई पर बंगाल न ही गईं और न ही उसपर कुछ बोलीं। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल तथा उनके सासंद संजय सिंह ने मणिपुर घटना को शर्मनाक बताया जबकि बंगाल घटना का कोई जिक्र नहीं किया।कांग्रेसी नेता प्रियंका वाड्रा, सपा नेता अखिलेश यादव, रालोद नेता जयंत चौधरी, एआईएमआईएम नेता औवेसी, सहित विपक्षी गठबंधन के सभी नेताओं ने मणिपुर की शर्मनाक घटना का मजबूत विरोध करके सरकार को घेरा है, परन्तु बंगाल सहित अन्य राज्यों की घटनाओं पर विपक्ष का कोई नेता बोलने को तैयार नही है। विपक्ष के इस दोगलेपन को देश की जनता भी भलीभांति समझ रही है।

ये हाल केवल विपक्ष का नही है, वर्तमान की भाजपा सरकार का भी है। विपक्ष के विरोध पर सरकार जवाब देने की बजाय बंगाल की घटना की ही बात कर रही है। इतने लंबे समय से मणिपुर में हिंसा हो रही है, हिंसा नही रोकना सरकार की नाकामी ही है। फिर ऐसी घटना होना उससे भी बड़ी नाकामी है। वैसे इस हिंसा को भारत का विपक्ष भी रोकने की बजाय बढ़ावा ही दे रहा है क्योंकि उनको आगामी चुनाव में मणिपुर हिंसा संजीवनी लग रही है। इसीलिये विपक्षी दलों के सभी प्रवक्ता भी टीवी डिबेट में केवल मणिपुर घटना की ही बात कर रहे हैं। बंगाल व अन्य राज्यों में हुए महिला अत्याचार पर नहीं बोल रहे। उसका कारण है मणिपुर में भाजपा सरकार का होना और बंगाल सहित अन्य राज्यों में इंडिया नाम के नए विपक्षी गठबंधन दलों की सरकारों का होना।

भारत के विपक्ष को सभी राज्यों में हुए महिला अत्याचार को एक समान ही समझकर उसके विरोध में आना चाहिए। अपनी सरकार व गैर सरकार नहीं देखना चाहिए। किसी भी अत्याचार पर विपक्ष का दोगलापन पहली बार नही दिख रहा। पीछे भी कई बार महिला उत्पीड़न व मासूम लड़कियों के साथ अत्याचार होते है तब भी विपक्ष आरोपी का धर्म देखकर ही विरोध करता है। अगर आरोपी गैर-मुस्लिम है तो सड़क से लेकर संसद तक भयानक विरोध किया जाता है और अगर आरोपी मुस्लिम है तो फिर विपक्ष एकदम शांत रहता है। विपक्ष के इस दोगलेपन को भारत की जनता भी भलीभांति देख व समझ रही है।

लेखक : ललित शंकर गाजियाबाद

(नोट – इस लेख को लिखने का सम्पूर्ण श्रेय महानगर प्रचारक ललित शंकर जी को जाता है।)